Puspesh Kumar > Puspesh's Quotes

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  • #1
    Dushyant Kumar
    “रह—रह आँखों में चुभती है पथ की निर्जन दोपहरी
    आगे और बढ़ें तो शायद दृश्य सुहाने आएँगे

    मेले में भटके होते तो कोई घर पहुँचा जाता
    हम घर में भटके हैं कैसे ठौर-ठिकाने आएँगे”
    Dushyant Kumar, साये में धूप [Saaye mein Dhoop]

  • #2
    Dushyant Kumar
    “सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
    मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।

    मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
    हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।”
    Dushyant Kumar, साये में धूप [Saaye mein Dhoop]



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