त्रिभुवन नारायण > त्रिभुवन's Quotes

Showing 1-1 of 1
sort by

  • #1
    “दुनिया में समर्थ ही जिंदा नहीं रहता, कमजोर भी जिंदा रहता है। सभ्यता का अर्थ ही यही है कि कमजोर की भी रक्षा हो सके। आयुर्वेद, चिकित्सा शास्त्र आदि की आवश्यकता इसीलिए है कि दुर्बल भी जीवित रह सके।सबल तो अपने आप जीवित रह लेगा । पुलिस भी इसलिए है कि दुर्बल की रक्षा हो। मत्स्य न्याय ना रहे, इसलिए राज्य की स्थापना है। समर्थ दुर्बल को समाप्त न करे, इसलिए हम नियम व समाज बनाते हैं।
    अतः जीवन का, समाज का आधार संघर्ष नहीं, सहयोग है। प्रकृति भी सहयोग के आधार पर चलती है ।”
    दीनदयाल उपाध्याय



Rss
All Quotes



Tags From त्रिभुवन’s Quotes