Atul Kumar Author Quotes
Quotes tagged as "atul_kumar_author"
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“If you are comparing yourself with others in competition, it means you are loser.”
― Digitalization......For the prosperous nation
― Digitalization......For the prosperous nation
“वो वक्त था उन लम्हों का, हमारा तो बस नाम था
आया था बनकर पैगाम, वो हमारे ही नाम था
कर गये ऐसी गुस्ताखी, जैसे हमारा ही काम था
हमें कहां पता था, कि वो पैगाम उन लम्हों के नाम था”
― Digitalization......For the prosperous nation
आया था बनकर पैगाम, वो हमारे ही नाम था
कर गये ऐसी गुस्ताखी, जैसे हमारा ही काम था
हमें कहां पता था, कि वो पैगाम उन लम्हों के नाम था”
― Digitalization......For the prosperous nation
“If you want success, then create your own Pathway with your own planning.”
― Digitalization......For the prosperous nation
― Digitalization......For the prosperous nation
“चली है हवा इश्क़ की, आंधी-तूफान वाकी हैं,
छा गए हैं बादल दिलों पर, बरसात अभी वाकी है,
मुश्कुरा लिया देखकर उनको युहीं, अभी उनका मुश्कुराना वाकी है,
अभी तो मिली है बस..नज़र से नज़र, जान-पहचान अभी वाकी है।
होने लगी है गुफ्तगू ख्वावों में, तलाश अभी वाकी हैं,
दिखने लगा है चेहरा ख्वावों में उनका, ख्वाव फिर भी वाकी हैं,
आज देखा उन्होंने कातिल निगाहों से, मगर मुश्कुराना अभी वाकी है,
अभी तो मिली है बस..नज़र से नज़र, जान-पहचान अभी वाकी है।
आज नहीं देखा है चेहरा ख्वावों में उनका, आश अभी वाकी है,
गुज़र चूका है दिन तलाश में उनके, शाम अभी वाकी है,
गुज़र चूका है समय अब उनके आने का, इंतज़ार फिर भी वाकी है,
अभी तो मिली है बस..नज़र से नज़र, जान-पहचान अभी वाकी है।
हो गई है मुलाकात फर्श पर गिरी उनकी किताबों से, मगर उनसे अभी वाकी है,
मिल गया है वहाना मुकम्मल दोस्ती करने का उनसे, बस.. उनका मुश्कुराना वाकी है,
कह दिया है आज हंसकर उन्होंने पागल मुझको, बस.. और पागलपन वाकी है,
अभी तो मिली है बस..नज़र से नज़र, जान-पहचान अभी वाकी है।”
― Digitalization......For the prosperous nation
छा गए हैं बादल दिलों पर, बरसात अभी वाकी है,
मुश्कुरा लिया देखकर उनको युहीं, अभी उनका मुश्कुराना वाकी है,
अभी तो मिली है बस..नज़र से नज़र, जान-पहचान अभी वाकी है।
होने लगी है गुफ्तगू ख्वावों में, तलाश अभी वाकी हैं,
दिखने लगा है चेहरा ख्वावों में उनका, ख्वाव फिर भी वाकी हैं,
आज देखा उन्होंने कातिल निगाहों से, मगर मुश्कुराना अभी वाकी है,
अभी तो मिली है बस..नज़र से नज़र, जान-पहचान अभी वाकी है।
आज नहीं देखा है चेहरा ख्वावों में उनका, आश अभी वाकी है,
गुज़र चूका है दिन तलाश में उनके, शाम अभी वाकी है,
गुज़र चूका है समय अब उनके आने का, इंतज़ार फिर भी वाकी है,
अभी तो मिली है बस..नज़र से नज़र, जान-पहचान अभी वाकी है।
हो गई है मुलाकात फर्श पर गिरी उनकी किताबों से, मगर उनसे अभी वाकी है,
मिल गया है वहाना मुकम्मल दोस्ती करने का उनसे, बस.. उनका मुश्कुराना वाकी है,
कह दिया है आज हंसकर उन्होंने पागल मुझको, बस.. और पागलपन वाकी है,
अभी तो मिली है बस..नज़र से नज़र, जान-पहचान अभी वाकी है।”
― Digitalization......For the prosperous nation
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