

“वह जब भी दिखता है मुझपर थोड़ा हँस लेता है। मैं कई बार बीच सड़क को छोड़कर गलियों में छिप जाता हूँ। जीवन का सामना करने से मैं घबराता हूँ। जीवन की उम्र मेरी उम्र के आस–पास ही कहीं है। वह हमेशा अचानक मुझसे टकरा जाता है, कहता है कि चलो बैठकर बात करते हैं। मैं उसके साथ कभी नहीं बैठता हूँ। मैं उससे खड़े–खड़े बात करता हूँ। खड़े–खड़े बात करने में एक चलतापन होता है जिसपर मैं हमेशा सहज बना रहता हूँ। बैठकर बात करने में ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है। बैठकर बात लंबी चलती है। फिर खड़े होने की गलियाँ खोजनी पड़ती हैं। बैठकर बात करने में बहुत देर खड़े होकर भी बात होती रहती है। बैठे–बैठे आप सीधे जा नहीं सकते। जबकि खड़े–खड़े बात करने में आप सीधे कहीं जा सकते हैं।”
― ठीक तुम्हारे पीछे [Theek Tumhare Peechhe]
― ठीक तुम्हारे पीछे [Theek Tumhare Peechhe]
Manasi’s 2024 Year in Books
Take a look at Manasi’s Year in Books, including some fun facts about their reading.
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