Ravikaran

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Divya Prakash Dubey
“एक बार ये भी लगा कि उस दिन कोई बात अधूरी रह गई। असल में बातें हमेशा अधूरी ही रहती हैं। ऐसा तो कभी होता ही नहीं कि हम बोल पाएँ कि मेरी उससे जिंदगी भर की सारी बातें पूरी हो गईं। हम सभी अपने-अपने हिस्से की अधूरी बातों के साथ ही एक दिन यूँ ही मर जाएँगे।”
Divya Prakash Dubey, मुसाफिर Cafe

Shashi Tharoor
“The past is not necessarily a guide to the future, but it does partly help explain the present.”
Shashi Tharoor, The Great Indian Novel

Divya Prakash Dubey
“शरीर जुड़कर भी कई बार दो लोग बिलकुल पास नहीं आ पाते ,कुछ खाली छूट जाता है । जो खाली छूट जाता है वो फासला तब तय होता है जब दो लोग आँसू से जुड़ते हैं । जब वो उस पल के लिए रोते हैं जो वहीं सामने , उनके आँसू के साथ आँखों से चलकर गालों से होता हुआ एक-दूसरे के होठों तक फिसल रहा होता है । तब पहली बार एहसास होता है कि हमारे बिना कुछ किए भी कोई फ़ासला मिट रहा है कोई खाली जगह भर रही है ।”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय

Divya Prakash Dubey
“सवाल जो लंबे समय तक सवाल बने रहते हैं हम उनके एक-दो नकली जवाब सोच लेते हैं। जो सच नहीं होते लेकिन झूठ भी नहीं होते है। और सबसे अच्छी बात ये होती है कि इन नकली जवाबों के साथ जीना बहुत आसान हो जाता है। इसलिए शायद जो लोग सवाल के साथ घर से निकले वो कभी लौटे नहीं और जो लौटे उनके जवाब नकली थे”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय

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