मसाला चाय Quotes

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मसाला चाय मसाला चाय by Divya Prakash Dubey
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मसाला चाय Quotes Showing 1-30 of 71
“एक उम्र होती है जब क्लास की खिड़की से बाहर आसमान दूर कहीं जमीन से मिल रहा होता है और हमें लगता है कि शाम को खेलते-खेलते हम ये दूरी हम तय कर लेंगे। दूरी तय करते-करते जिस दिन हमें पता चलता है कि ये दूरी तय नहीं हो सकती, उसी दिन हम बड़े हो जाते हैं”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“हिंदुस्तान के कई छोटे बड़े शहरों में माँ का सबसे बड़ा सपना यही होता है कि उसके बच्चे आपस में हमेशा फर्राटेदार इंग्लिश में बात करें खासकर के पड़ोस वाली आंटी जी के घर आने पर”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“एक उम्र होती है जब क्लास की खिड़की से बाहर आसमान दूर कहीं जमीन से मिल रहा होता है और हमें लगता है कि शाम को खेलते-खेलते हम ये दूरी तय कर लेंगे। दूरी तय करते-करते जिस दिन हमें पता चलता है कि ये दूरी तय नहीं हो सकती, उसी दिन हम बड़े हो जाते हैं।”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“दुनिया में mute का बटन रिमोट में आने से बहुत पहले से हुआ करता था। सच को जब भी दुनिया के जिस भी हिस्से में बोला गया है किसी-न-किसी ने उसको mute करने की कोशिश की है, ये कोशिश कोई नयी नहीं है”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“हम सभी की पहली शादी यूँ ही कभी अकेले में हो जाती है। फालतू में ही हम बैंडबाजे वाली शादी को अपनी पहली शादी बोलते हैं”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“जो भी इंजीनियर एक दिन से ज़्यादा पढ़कर इम्तिहान दे वो इंजीनियर ही नकली है । जिसने भी अपने नोट्स बना के पढ़ाई की वो इंजीनियर भी नकली । लोग फालतू में ही doctors की हैंड-राइटिंग को कोसते रहते हैं । जिस इंजीनियर को सुबह का अपना लिखा हुआ शाम को समझ में आ जाए वो इंजीनियर भी नकली । इंजीन्यरिंग की असल बात यही है कि कॉलेज की लड़कियों के बनाए हुए नोट्स को एक रात में पढ़ लेना अगले दिन इम्तिहान में जाके उल्टी कर आना और एक दिन में जो भी पढ़ा था उसको इम्तिहान के 3 घंटे में लिखने के तुरंत बाद भूल जाना । अगर इससे ज्यादा टाइम तक आपको अपना पढ़ा हुआ याद रहता है तो बंदा हिंदुस्तान के किसी भी कोर्स के लिए तो फिट हो सकते हैं लेकिन इंजीन्यरिंग आपके लिए नहीं है”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“किसी लड़के ने किसी लड़की को अपना सबकुछ मान लिया है ये इतना गुपचुप तरह से होता कि कई बार लड़की को पता ही नहीं चल पता कि कोई उसको इतना प्यार करता है कि पहलवान भाई की टपरी पर बैठने वाला कोई भी लड़का अब उसको प्यार नहीं कर सकता”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“जैसा कि अमूमन सुना जाता रहा है कि प्यार आपको शक्ति देता है उसका मतलब केवल इतना होता है कि प्यार आपको शक्ति तभी दे सकता है जबकि आपके पास पहले से शक्ति हो।”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“हमारे पहले कदम से लेकर आखिरी कदम तक तय की गयी दूरी की लंबाई जिन्दगी के बराबर होती है । इसीलिए शायद जिन्दगी हमें भटकाती है ताकि हम अपने हिस्से भर की जिन्दगी चल पायें। ये कहानियाँ भटककर संभलने और संभलकर दुबारा भटकने के दौरान तय की गयी दूरियाँ भर हैं”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“सवाल जो लंबे समय तक सवाल बने रहते हैं हम उनके एक-दो नकली जवाब सोच लेते हैं। जो सच नहीं होते लेकिन झूठ भी नहीं होते है। और सबसे अच्छी बात ये होती है कि इन नकली जवाबों के साथ जीना बहुत आसान हो जाता है। इसलिए शायद जो लोग सवाल के साथ घर से निकले वो कभी लौटे नहीं और जो लौटे उनके जवाब नकली थे”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“जो भी प्यार पूरे नहीं हो पाते उनको चक्कर ही बोला जाता है न, प्यार पूरे होने का केवल और केवल इतना मतलब है कि आपने जिस लड़की को I love you बोला था उसके घर आप बैंड बाजे के साथ पहुँच पाये। आगे शादी चले न चले उससे प्यार के पूरे और अधूरेपन पर कोई असर नहीं पड़ता”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“भगवान कसम खाने से क्या होता है?”
“सबसे safe भगवान कसम ही होती है यार।”
“क्यूँ?”
“क्यूँकि भगवान कभी मरता नहीं।”
“झूठी कसम से भी नहीं।”
“अबे नहीं यार, यही तो खास बात है भगवान की। मरता नहीं न। इसीलिए सब भगवान की झूठी कसम तुरंत खा लेते हैं तुझे भी कभी झूठी कसम खानी पड़े तो भगवान की खा लेना।”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“मरे हुए की कितनी भी कसम खाओ, कोई फर्क नहीं”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“आज कल की किसी भी शादी में जय माल के टाइम पर जितनी आसानी से लड़के लड़कियां एक दूसरे से इशारों में बात कर लेते हैं उसको देख के ये जानना करीब करीब असंभव है कि शादी love है या arrange।”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“उसे भी कोई regret नहीं था । Basically वो अपनी शादी को लेके शुरू से ही बहुत excited थी वो चाहे मुझसे होती या फ़िर किसी और से होती।”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“शरीर जुड़कर भी कई बार दो लोग बिलकुल पास नहीं आ पाते ,कुछ खाली छूट जाता है । जो खाली छूट जाता है वो फासला तब तय होता है जब दो लोग आँसू से जुड़ते हैं । जब वो उस पल के लिए रोते हैं जो वहीं सामने , उनके आँसू के साथ आँखों से चलकर गालों से होता हुआ एक-दूसरे के होठों तक फिसल रहा होता है । तब पहली बार एहसास होता है कि हमारे बिना कुछ किए भी कोई फ़ासला मिट रहा है कोई खाली जगह भर रही है ।”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“सब कुछ नहीं कह सकते न हम लोग । कुछ चीजें केवल हमारी होती हैं”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“मयंक स्कूल में तब तक यशवी के लिए जगह बचाकर रोककर रखता रहा जब तक एक दिन वो उसे भूल नहीं गया । उधर यशवी भी मयंक का तब तक इंतज़ार करती रही और ताजमहल वाले promise और अपनी शादी के बारे में सोचती रही जब तक वो एक दिन मयंक को भूल नहीं गयी और बची कावेरी ....हाँ बची कावेरी..... कभी मम्मी बनकर तो कभी पापा बनकर तो कभी fill in blanks बनकर”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“पता नहीं अगर कभी कोई हिसाब लगता कि समाज ने कितने घरों को जोड़ा और कितनों को तोड़ा है तो शायद ही समाज दुनिया की किसी भी कॉलोनी में मुँह दिखाने लायक बचता।”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“ये जो and please be honest हैं न ये बार बार इसलिए बोला जाता है ताकि गलती से अगर बंदा बातों में आकार भूल गया है कि उसको सब सच बोलना है तो वो एक बार सोच ले और वही बोले जो इंटरव्यू crack करने के लिए ठीक हो । वरना ज़्यादा honest होने के जो भी फ़ायदे नुकसान हैं वो किसी से दुनिया में छुपे थोड़े हैं।”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“प्राइवेट कॉलेज जहाँ बंदा कभी चुपके से तो कभी घर वालों के प्रैशर की वजह से अपने फ़र्स्ट इयर में भी IIT-JEE का पेपर देता है और 5 point someone पढ़ते हुए ये सोचता है कि IIT में तो हुआ नहीं , जिंदगी में कभी वो no one से someone की दूरी तय भी कर पाएगा या नहीं ?”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“इंजीन्यरिंग के तीन साल पूरे होते होते सबको अपनी औकात समझ में आने लगती है । कई लोगों को समझ में आ चुका होता है कि इंजीन्यरिंग उनके लिए नहीं थी”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“मेरे साथ के कई लड़के तो पूरे कॉलेज में फलानी बंदी से इसीलिए बात शुरू भी नहीं कर पाये क्यूंकी वो बंदी केवल अँग्रेजी में बात करती थी। हालांकि जो भी लड़के इंग्लिश नहीं बोल पाते थे और उस बंदी से बात करना चाहते थे वे हमेशा कहते रहे
“प्यार की कोई भाषा नहीं होती है”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“चाय भी एक तरह सोशल नेटवर्क ही तो है”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“उन सभी दोस्तों के लिए ,
जिन्होने एक भी अच्छी चीज नहीं सिखायी,
सिवाये दोस्ती के !”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“वो सभी चीजें जो केवल बालिगों के लिए होती हैं, वो सब कुछ करने के लिए बालिग होने का इंतज़ार करना दुनिया ने बंद कर दिया है”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“। रिमोट का सबसे बड़ा फ़ायदा ही यही है कि जब भी जिस सच्चाई से मुँह मोड़ना हो, बस बटन दबा दो। सच्चाइयाँ अक्सर बहुत बोरिंग होती हैं। इसीलिए न्यूज़ चैनल वालों को सच्चाई दिखाने के लिए खबर को सनसनीखेज बनाना पड़ता है।”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“उस दिन स्कूल की छुट्टी के बाद से ही दुनिया, प्यार क्या होता है का जवाब अपने-अपने तरीके से ख़ोज रही है और सबके पास एक readymade नकली जवाब तैयार है”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“उसको वैसे ही महसूस हुआ जैसा सालों से दुनिया को होता आया है। उसमें कुछ भी नया नहीं था। ये वो मंज़िलें हैं जहाँ हर बार बस पहुँचने वाला नया होता है”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय
“अक्सर ट्रेन की बातें ट्रेन में ही खत्म नहीं होतीं। शायद इसीलिए मुझे आज भी मुझे ट्रेन का सफर बहुत अच्छा लगता है”
Divya Prakash Dubey, मसाला चाय

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