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“ज़मीं भी उसकी, ज़मीं की ये नेमतें उसकी ये सब उसी का है, घर भी, ये घर के बंदे भी ख़ुदा से कहिये, कभी वो भी अपने घर आये!”
― रात पश्मीने की
― रात पश्मीने की
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