धर्मवीर भारती > Quotes > Quote > Abhishek liked it
“बड़ी ही उदास शाम थी I और क्षितिज की लाली के आठ भी स्याह पर गए थे I बदल सांस रोके पड़े थे और खामोश सितारें टिमटिमा रहे थे”
― गुनाहों का देवता
― गुनाहों का देवता
No comments have been added yet.
