गुनाहों का देवता Quotes
गुनाहों का देवता
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गुनाहों का देवता Quotes
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“कभी कभी उदासी भी थक जाती है ।”
― गुनाहों का देवता
― गुनाहों का देवता
“सचमुच लगता हे कि प्रयाग का नगर-देवता स्वर्ग-कुंजों से निर्वासित कोई मनमौजी कलाकार है जिसके सृजन में हर रंग के डोरे हैं।”
― गुनाहों का देवता
― गुनाहों का देवता
“या तो प्यार आदमी को बादलों की ऊँचाई तक उठा ले जाता है , या स्वर्ग से पाताल में फेंक देता है।लेकिन कुछ प्राणी हैं, जो न स्वर्ग के हैं न नरक के, वे दोनों लोकों के बीच में अंधकार की परतों में भटकते रहते हैं। वे किसी को प्यार नहीं करते, छायाओं को पकड़ने का प्रयास करते हैं, या शायद प्यार करते हैं या निरंतर नयी अनुभूतियों के पीछे दीवाने रहते हैं और प्यार बिलकुल करते ही नहीं ......... कपूर, मैं उसी अभागे लोक की एक प्यासी आत्मा थी।”
― गुनाहों का देवता
― गुनाहों का देवता
“बड़ी फीकी, बड़ी बेजार, बड़ी बनावटी लगती हैं ये कविताएँ, मन के दर्द के आगे सभी फीकी हैं।”
― गुनाहों का देवता
― गुनाहों का देवता
“बादशाहों की मुअत्तर ख्वाबगाहों में कहाँ
वह मजा जो भीगी-भीगी घास पर सोने में है,
मुतमइन बेफिक्र लोगों की हँसी में भी कहाँ
लुत्फ़ जो एक-दूसरे को देख कर रोने में है।”
― गुनाहों का देवता
वह मजा जो भीगी-भीगी घास पर सोने में है,
मुतमइन बेफिक्र लोगों की हँसी में भी कहाँ
लुत्फ़ जो एक-दूसरे को देख कर रोने में है।”
― गुनाहों का देवता
“कैफ़ बरदोश बादलों को ना देख, बेखबर तू कुचल न जाये कहीं.”
― गुनाहों का देवता
― गुनाहों का देवता
“गंगा की लहरों में बहता हुआ राख का साँप टूट-फूटकर बिखर चुका था और नदी फिर उसी तरह बहने लगी थी जैसे कभी कुछ हुआ ही न हो। ”
― गुनाहों का देवता
― गुनाहों का देवता
“..दर्द इंसान के यकीदे को और मजबूत न कर दे, आदमी के कदमो को और ताकत न दे, आदमी के दिल को उचाई न दे तो इंसान क्या?”
― गुनाहों का देवता
― गुनाहों का देवता
“हिन्दू नारी इतनी असहाय होती है, उसे पति से, पुत्र से, सभी से इतना लांछन, अपमान और तिरस्कार मिलता है कि पूजा पाठ न हो तो पशु बन जाए। पूजा पाठ ने ही हिन्दू नारी का चरित्र इतना ऊँचा रखा है।”
― गुनाहों का देवता
― गुनाहों का देवता
“अगर पुरुष के होठों में तीखी प्यास न हो, बाहुपाशों में जहर न हो तो वासना की इस शिथिलता से नारी फ़ौरन समझ जाती है की संबंधों में दूरी आते जा रही है। सम्बन्धों की घनिष्टता को नापने का नारी के पास एक ही मापदंड है, चुम्बन का तीखापन!”
― गुनाहों का देवता
― गुनाहों का देवता
“हरेक आदमी जिंदगी से समझौता कर लेता है किन्तु मैंने जिंदगी से समर्पण कराकर उसके हथियार रख लिए हैं।”
― गुनाहों का देवता
― गुनाहों का देवता
“बड़ी ही उदास शाम थी I और क्षितिज की लाली के आठ भी स्याह पर गए थे I बदल सांस रोके पड़े थे और खामोश सितारें टिमटिमा रहे थे”
― गुनाहों का देवता
― गुनाहों का देवता
“ऐसे अवसरों पर जब मनुष्य को गम्भीरतम उत्तरदायित्व सौंपा जाता है तब स्वभावत: आदमी के चरित्र में एक विचित्र-सा निखार आ जाता है।”
― गुनाहों का देवता
― गुनाहों का देवता
“संतोष सिर्फ इतना है कि घंटियाँ बजती हैं तो शायद तुम उन्हें पूजा के मंदिर की घंटियाँ समझते होंगे।”
― गुनाहों का देवता
― गुनाहों का देवता
“While writing this novel I experienced the feeling one has during depressing moments when he prays fervently, with full faith.... It appears as if the very same prayer has been ingrained in my heart and I am still repeating it...”
― गुनाहों का देवता
― गुनाहों का देवता
“करोड़ों साल से अलग और पवित्र सितारे हिले, आपसे में टकराये और चूर-चूर होकर बिखर गये। ”
― गुनाहों का देवता
― गुनाहों का देवता
“अगर कोई प्याला मुँह से न लगाकर दूर फेंक दे, तो समझ लो कि वह बेहद प्यासा है, इतना प्यासा कि तृप्ति की कल्पना से भी घबराता है।”
― गुनाहों का देवता
― गुनाहों का देवता
“जब भावना और सौन्दर्य के उपासक को बुद्धि और वास्तविकता की ठेस लगती है तब वह सहसा कटुता और व्यंग्य से उबल उठता है।”
― गुनाहों का देवता
― गुनाहों का देवता
“विश्वास करो मुझ पर सुधा, जीवन में अलगाव, दूरी, दुख और पीड़ा आदमी को महान बना सकती है। भावुकता और सुख हमें ऊँचे नहीं उठाते।”
― गुनाहों का देवता
― गुनाहों का देवता
“एक चमकदार सितारा टूटा और पूरे आकाश पर फिसलते हुए जाने किस क्षितिज में खो गया। ”
― गुनाहों का देवता
― गुनाहों का देवता
“सात चाँद की रानी ने आखिर अपनी निगाहों के जादू से सन्नाटे के प्रेत को जीत लिया। स्पर्शो के सुकुमार रेशमी तारों ने नगर की आग को शबनम से सींच दिया। ऊबड़-खाबड़ खंडहर को अंगों के गुलाब की पाँखुरियों से ढेक दिया और पीड़ा के अंधियारे को सीपिया पलकों से झरने वाली दूधिया चाँदनी से धो दिया। एक संगीत की लय थी जिसमें स्वर्गभ्रष्ट देवता खो गया, संगीत की लय थी या उद्दाम यौवन का भरा हुआ ज्वार था जो चन्दर को एक मासूम फूल की तरह बहा ले गया...जहाँ पूजा दीप बुझ गया था, वहाँ तरुणाई की साँस की इन्द्रधनुषी समाँ झिलमिला उठी थी, जहाँ फूल मुरझाकर धूल में मिल गये थे वहाँ पुखराजी स्पर्शो के सुकुमार हरसिंगार झर पड़े....आकाश के चाँद के लिए जिंदगी के आँगन में मचलता हुआ कन्हैया, थाली के प्रतिबिम्ब में ही भूल गया...”
― गुनाहों का देवता
― गुनाहों का देवता
“जिस समय परीक्षकों के घर में पारिवारिक कलह हो, मन में अंतर्द्वंद हो या दिमाग में फितूर हो, उस समय उन्हें कॉपियाँ जांचने से अच्छा शरणस्थल नहीं मिलता। अपने जीवन की परीक्षा में फेल हो जाने की खीझ उतारने के लिए लड़कों को फेल करने के अलावा कोई अच्छा रास्ता ही नहीं है।”
― गुनाहों का देवता
― गुनाहों का देवता
“सचमुच लगता है कि प्रयाग का नगर-देवता स्वर्ग-कुंजों से निर्वासित कोई मनमौजी कलाकार है जिसके सृजन में हर रंग के डोरे हैं।”
― गुनाहों का देवता
― गुनाहों का देवता
“लेकिन आदमी हँसता है, दुख-दर्द सभी में आदमी हँसता हैं। जैसे हँसते-हँसते आदमी की प्रसन्नाता थक जाती है वैसे ही कभी-कभी रोते-रोते आदमी की उदासी थक जाती है और आदमी करवट बदलता है। ताकि हँसी की छाँह में कुछ विश्राम कर फिर वह आँशुओं की कड़ी धूप में चल सके।”
― गुनाहों का देवता
― गुनाहों का देवता
“मेरे लिए इस उपन्यास का लिखना वैसा ही रहा है जैसे पीड़ा के क्षणों में पूरी आस्था के प्रार्थना करना, और इस समय भी मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं वह प्रार्थना मन-ही-मन दोहरा रहा हूँ, बस…”
― गुनाहों का देवता
― गुनाहों का देवता
“दुख अपनी पूरी चोट करने के वक्त अक्सर आदमी की आत्मा और मन को क्लोरोफार्म सूँघा देता है। चन्दर कुछ भी सोच नहीं पा रहा था। संज्ञा-हत, नीरव, निश्चेष्ट…”
― गुनाहों का देवता
― गुनाहों का देवता
“वह स्तब्ध! जैसे पत्थर बन गयी हो। आँख में आँसू जम गये। पलकों में निगाहें जम गयीं। होठों में आवाजें जम गयीं और सीने में सिसकियाँ जम गयीं। ”
― गुनाहों का देवता
― गुनाहों का देवता
“पता नहीं क्यों कपूर, मुझे लगता है कि हमदर्दी करना इस दुनिया में सबसे बड़ा पाप है। आदमी से हमदर्दी कभी नहीं करनी चाहिए।” ”
― गुनाहों का देवता
― गुनाहों का देवता
“एक स्वर्गभ्रष्ट देवदूत जिसे पिशाचों ने खरीद लिया हो, उन्हीं की तरह वह जिंदगी के सुख-दु:ख को ठोकर मारता हुआ किनारे खड़ा सभी पर हँस रहा था।”
― गुनाहों का देवता
― गुनाहों का देवता
