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“श्रद्धा का सागर एक कंकड़ का आघात भी झेलने को तैयार नहीं होता। मछलियाँ बड़े बड़े बुलबुले गुड़गुड़ाने लगती हैं- इसीलिए तो प्रेम की तरह भक्ति भी अंधी कही गई है, पर उसे बहरी भी होना चाहिए था।”
― लालटेन बाज़ार
― लालटेन बाज़ार
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