लालटेन बाज़ार Quotes
लालटेन बाज़ार
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लालटेन बाज़ार Quotes
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“श्रद्धा का सागर एक कंकड़ का आघात भी झेलने को तैयार नहीं होता। मछलियाँ बड़े बड़े बुलबुले गुड़गुड़ाने लगती हैं- इसीलिए तो प्रेम की तरह भक्ति भी अंधी कही गई है, पर उसे बहरी भी होना चाहिए था।”
― लालटेन बाज़ार
― लालटेन बाज़ार
“अपने से टूट-छूट जाने की स्थिति शायद यही होती हो, जब आदमी एक रेस के एक घोड़े के सिवा कुछ नहीं रह जाये।”
― लालटेन बाज़ार
― लालटेन बाज़ार
“उसने हमेशा से महसूस किया था कि पाँव के नीचे की धरती जब दरकने लगे, तभी लोगों की आँखें आसमान की ओर उठती हैं, औसत आदमी हर तरफ से निराश होकर ही भगवान को पुकारता है- जैसे मूंगफलियाँ फाँक-फाँककर थक गया गरीब आदमी सफर के अंत में घर से यत्नपूर्वक लपेटकर लायी रोटी निकाले।”
― लालटेन बाज़ार
― लालटेन बाज़ार
“झूठ की उम्र भले ही कम हो, हाथ-पाँव बड़े लम्बे होते हैं जिनसे वो वह दूर तक पासे फेंक सकता है। अफवाहें मेंढक होती है - एक जीभ से दूसरी जीभ पर फुदकती हुई आस-पास के हर साफ-गंदे नाले में एक बार गुडुप से डुबकी ले लेने वाली।....दरअसल हर आदमी के मन में जीवन में कुछ कर नहीं पाने का जो रिसता पछतावा होता है, परनिन्दा-वृत्ति उसका ही विषैला मवाद है- जिस पर भिनभिनाने में कुंठाएँ विशेष सुख पाती हुई पलती-पुसती हैं।”
― लालटेन बाज़ार
― लालटेन बाज़ार
“शुभ्रता का अपना अलग ही आतंक होता है और शायद वह अपने मन का अपराध बोध होता है जो ऐसी किसी भी शुभ्र मूर्ति के सामने कुलबुलाकर गले में पंख फटकने लगता है, जैसे मंदिर तक आते-आते कोई रो दे।”
― लालटेन बाज़ार
― लालटेन बाज़ार
