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हरिवंश राय बच्चन
“याद न आए दुखमय जीवन इससे पी लेता हाला, जग चिंताओं से रहने को मुक्त, उठा लेता प्याला, शौक, साध के और स्वाद के हेतु पिया जग करता है, पर मैं वह रोगी हूँ जिसकी एक दवा है मधुशाला”
Harivansh Rai Bachchan, मधुशाला

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