मधुशाला Quotes
मधुशाला
by
Harivansh Rai Bachchan3,937 ratings, 4.45 average rating, 240 reviews
मधुशाला Quotes
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“मदिरालय जाने को घर से चलता है पीनेवाला, ‘किस पथ से जाऊँ’ असमंजस में है वह भोलाभाला; अलग-अलग पथ बतलाते सब पर मैं यह बतलाता हूँ… ‘राह पकड़ तू एक चला चल, पा जाएगा मधुशाला”
― मधुशाला
― मधुशाला
“भावुकता अंगूर लता से खींच कल्पना की हाला, कवि साक़ी बनकर आया है भरकर कविता का प्याला; कभी न कण भर खाली होगा, लाख पिएँ, दो लाख पिएँ! पाठक गण हैं पीनेवाले, पुस्तक मेरी मधुशाला | 4”
― मधुशाला
― मधुशाला
“कभी नहीं सुन पड़ता, ‘इसने, हा, छू दी मेरी हाला’, कभी न कोई कहता, ‘उसने जूठा कर डाला प्याला’; सभी जाति के लोग यहाँ पर साथ बैठकर पीते हैं; सौ सुधारकों का करती है काम अकेली मधुशाला”
― मधुशाला
― मधुशाला
“मुसल्मान औ’ हिन्दू हैं दो, एक, मगर, उनका प्याला, एक, मगर, उनका मदिरालय, एक, मगर, उनकी हाला; दोनों रहते एक न जब तक मस्जिद-मन्दिर में जाते; वैर बढ़ाते मस्जिद-मन्दिर मेल कराती मधुशाला”
― मधुशाला
― मधुशाला
“दुतकारा मस्जिद ने मुझको कहकर है पीनेवाला, ठुकराया ठाकुरद्वारे ने देख हथेली पर प्याला, कहाँ ठिकाना मिलता जग में भला अभागे काफिर को शरणस्थल बनकर न मुझे यदि अपना लेती मधुशाला”
― मधुशाला
― मधुशाला
“धर्म-ग्रंथ सब जला चुकी है जिसके अन्तर की ज्वाला, मंदिर, मस्जिद, गिरजे—सबको तोड़ चुका जो मतवाला, पंडित, मोमिन, पादरियों के फंदों को जो काट चुका कर सकती है आज उसी का स्वागत मेरी मधुशाला”
― मधुशाला
― मधुशाला
“लाल सुरा की धार लपट-सी कह न इसे देना ज्वाला, फेनिल मदिरा है, मत इसको कह देना उर का छाला, दर्द नशा है इस मदिरा का विगत स्मृतियाँ साक़ी हैं; पीड़ा में आनन्द जिसे हो, आए मेरी मधुशाला | 14”
― मधुशाला
― मधुशाला
“चलने ही चलने में कितना जीवन, हाय, बिता डाला ! ‘दूर अभी है’, पर, कहता है हर पथ बतलाने वाला; हिम्मत है न बढूँ आगे को साहस है न—फिरूँ पीछे; किंकर्तव्यविमूढ़ मुझे कर दूर खड़ी है मधुशाला | 7”
― मधुशाला
― मधुशाला
“हाथों में आने-आने में, हाय, फिसल जाता प्याला, अधरों पर आने-आने में, हाय, ढलक जाती हाला; दुनिय वालो, आकर मेरी किस्मत की खूबी देखो रह-रह जाती है बस मुझको मिलते-मिलते मधुशाला”
― मधुशाला
― मधुशाला
“जो हाला मैं चाह रहा था, वह न मिली मुझको हाला, जो प्याला मैं माँग रहा था, वह न मिला मुझको प्याला, जिस साक़ी के पीछे मैं था दीवाना, न मिला साक़ी, जिसके पीछे मैं था पागल, हा, न मिली वह मधुशाला”
― मधुशाला
― मधुशाला
“ज्ञात हुआ यम आने को है ले अपनी काली हाला, पंडित अपनी पोथी भूला, साधू भूल गया माला, और पुजारी भूला पूजा, ज्ञान सभी ज्ञानी भूला, किन्तु न भूला मरकर के भी पीनेवाला मधुशाला”
― मधुशाला
― मधुशाला
“मेरे शव पर वह रोए, हो जिसके आँसू में हाला, आह भरे वह, जो हो सुरभित मदिरा पीकर मतवाला, दें मुझको वे कंधा जिनके पद मद-डगमग होते हों और जलूँ उस ठौर, जहाँ पर कभी रही हो मधुशाला | 83 और चिता पर जाय उँडेला पात्र न धृत का, पर प्याला घंट बँधे अंगूर लता में, नीर न भरकर, भर हाला, प्राणप्रिये, यदि श्राद्ध करो तुम मेरा, तो ऐसे करना— पीनेवालों को बुलवाकर, खुलवा देना मधुशाला”
― मधुशाला
― मधुशाला
“याद न आए दुखमय जीवन इससे पी लेता हाला, जग चिंताओं से रहने को मुक्त, उठा लेता प्याला, शौक, साध के और स्वाद के हेतु पिया जग करता है, पर मैं वह रोगी हूँ जिसकी एक दवा है मधुशाला”
― मधुशाला
― मधुशाला
“बजी नफ़ीरी और नमाज़ी भूल गया अल्लाताला, गाज़ गिरी, पर ध्यान सुरा में मग्न रहा पीनेवाला; शेख, बुरा मत मानो इसको, साफ़ कहूँ तो मस्जिद को अभी युगों तक सिखलाएगी ध्यान लगाना मधुशाला”
― मधुशाला
― मधुशाला
“सजें न मस्जिद और नमाज़ी कहता है अल्लाताला, सजधजकर, पर, साक़ी आता, बन ठनकर, पीनेवाला, शेख, कहाँ तुलना हो सकती मस्जिद की मदिरालय से चिर-विधवा है मस्जिद तेरी, सदा-सुहागिन मधुशाला !”
― मधुशाला
― मधुशाला
“एक बरस में एक बार ही जलती होली की ज्वाला, एक बार ही लगती बाज़ी, जलती दीपों की माला; दुनियावालों, किन्तु, किसी दिन आ मदिरालय में देखो, दिन को होली, रात दिवाली, रोज़ मानती मधुशाला”
― मधुशाला
― मधुशाला
“हरा-भरा रहता मदिरालय, जग पर पड़ जाए पाला, वहाँ मुहर्रम का तम छाए, यहाँ होलिका की ज्वाला; स्वर्ग लोक से सीधी उतरी वसुधा पर, दुख क्या जाने; पढ़े मर्सिया दुनिया सारी, ईद मानती मधुशाला”
― मधुशाला
― मधुशाला
“बिना पिये जो मधुशाला को बुरा कहे, वह मतवाला, पी लेने पर तो उसके मुँह पर पड़ जाएगा ताला; दास-द्रोहियों दोनों में है जीत सुरा की, प्याले की, विश्वविजयिनी बनकर जग में आ ई मेरी मधुशाला”
― मधुशाला
― मधुशाला
“बने पुजारी प्रेमी साक़ी, गंगाजल पावन हाला, रहे फेरता अविरल गति से मधु के प्यालों की माला, ‘और लिये जा, और पिए जा’— इसी मंत्र का जाप करे, मैं शिव की प्रतिमा बन बैठूँ | मंदिर हो यह मधुशाला”
― मधुशाला
― मधुशाला
“मुसल्मान औ’ हिन्दू हैं दो, एक, मगर, उनका प्याला, एक, मगर, उनका मदिरालय, एक, मगर, उनकी हाला; दोनों रहते एक न जब तक मस्जिद-मन्दिर में जाते; वैर बढ़ाते मस्जिद-मन्दिर मेल कराती मधुशाला ’ 50”
― मधुशाला
― मधुशाला
“धर्म-ग्रंथ सब जला चुकी है जिसके अन्तर की ज्वाला, मंदिर, मस्जिद, गिरजे—सबको तोड़ चुका जो मतवाला, पंडित, मोमिन, पादरियों के फंदों को जो काट चुका कर सकती है आज उसी का स्वागत मेरी मधुशाला | 17”
― मधुशाला
― मधुशाला
“जगती की शीतल हाला-सी पथिक, नहीं मेरी हाला, जगती की ठंडे प्याले-सा, पथिक, नहीं मेरा प्याला, ज्वाल-सुरा जलते प्याले में दग्ध हृदय की कविता है; जलने से भयभीत न जो हो, आए मेरी मधुशाला | 15”
― मधुशाला
― मधुशाला
“मदिरालय जाने को घर से चलता है पीनेवाला, ‘किस पथ से जाऊँ’ असमंजस में है वह भोलाभाला; अलग-अलग पथ बतलाते सब पर मैं यह बतलाता हूँ… ‘राह पकड़ तू एक चला चल, पा जाएगा मधुशाला | 6”
― मधुशाला
― मधुशाला
“कभी निराशा का तम धिरता, छिप जाता मधु का प्याला, छिप जाती मदिरा की आभा, छिप जाती साक़ीबाला, कभी उजाला आशा करके प्याला फिर चमका जाती, आँखमिचौनी खेल रही है मुझसे मेरी मधुशाला”
― मधुशाला
― मधुशाला
“पाप अगर पीना, समदोषी तो तीनों—साक़ी बाला, नित्य पिलानेवाला प्याला, पी जानेवाली हाला; साथ इन्हें भी ले चल मेरे न्याय यही बतलाता है, क़ैद जहाँ मैं हूँ, की जाए क़ैद वहीं पर मधुशाला”
― मधुशाला
― मधुशाला
“आज मिला अवसर तब फिर क्यों मैं न छकूँ जी भर हाला, आज मिला मौका, तब फिर क्यों ढाल न लूँ जी भर प्याला, छेड़छाड़ अपने साक़ी से आज न क्यों जी भर कर लूँ, एक बार ही तो मिलनी है जीवन की यह मधुशाला”
― मधुशाला
― मधुशाला
“सोम-सुरा पुरखे पीते थे, हम कहते उसको हाला, द्रोण-कलश जिसको कहते थे, आज वही मधुघट आला; वेद-विहित यह रस्म न छोड़ो, वेदों के ठेकेदारों, युग-युग से है पुजती आई नई नहीं है मधुशाला”
― मधुशाला
― मधुशाला
“आज करे परहेज़ जगत, पर कल पीनी होगी हाला, आज करे इन्कार जरात पर कल पीना होगा प्याला; होने दो पैदा मद का महमूद जगत में कोई, फिर जहाँ अभी हैं मन्दिर-मस्जिद वहाँ बनेगी मधुशाला”
― मधुशाला
― मधुशाला
