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“जगन्नाथ काका के साथ मैं एक बारात से लौट रहा था । एक डिब्बे पर बारातियों ने कब्जा कर लिया था । काका ने मुझसे कहा, "अगर अपना भला चाहते हो, तो दूसरे डिब्बे में बैठो । बाराती से ज्यादा बर्बर जानवर कोई नहीं होता । ऐसे जानवरों से हमेशा दूर रहना चाहिए । लौटती बारात बहुत खतरनाक होती है । उसकी दाढ़ में लड़कीवाले का खून लग जाता है और वह रास्ते में जिस-तिस पर झपटती है । कहीं झगड़ा हो गया, तो हम दोनों भी उनके साथ पिटेंगे ।”
― निठल्ले की डायरी
― निठल्ले की डायरी
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