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Bibhutibhushan Bandyopadhyay
“रोशनी और अँधेरे की अपरूप माया से जंगल परियों के सोए हुए देश की भाँति रहस्य का घूँघट ओढ़ लेता है। कहीं से हवा का सनसनाता हुआ झोंका अमलतास के डाल को हिला कर और कुंदरू की झाड़ियों की फुनगियों को लजाकर चला जाता है।”
Bibhutibhushan Bandyopadhyay, पथेर पाचांली

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