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Manav Kaul
“कुछ तार कभी टूटते नहीं हैं. कितनी भी कोशिशें क्यों न कर लें. उन्हें लाख आश्वासन भी क्यों न दें कि अभी तोड़ रहे हैं, पर बाद में गांठ बांध कर फिर से जोड़ सकते हैं, पर वह मानते नहीं हैं. सारे तनाव, खिंचाव के साथ वह भीतर कहीं बहुत महीन त्रासदी के साथ जुड़े रहते हैं.”
Manav Kaul, Bahut Door, Kitna Door Hota Hai

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