मैंने कहा, "काका, मुझे आपकी बात बिलकुल समझ में नहीं आती. आखिर तारीफ से आदमी कैसे मर जायेगा?"
काका ने बताया, "देखो, हुआ ऐसा कि उसके पड़ोसी ने सुबह अख़बार में उसकी तारीफ पढ़ी. वह शिवशंकर के पास गया और बोला - 'शिवशंकर बाबू, आज अख़बार में आपके बारे में छपा है.' यह सुनते ही शिवशंकर घबराकर चिल्लाया -'अरे बाप रे! छप गया!' और वहीँ गिर पड़ा. थोड़ी देर बाद उसके प्राण निकल गए."
— Jun 23, 2025 12:27AM
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