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E.T.
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"तब शाश्वत धर्म क्या है, सो मेरी समझ में नहीं आता।"
"बड़ों-बड़ों की समझ में नहीं आता! ऐसा कोई धर्म नहीं, जो सर्वदा सर्वथा सबके लिए लागू हो। सभी धर्म आपेक्षिक होते हैं, अवस्थाओं पर, परिस्थितियों पर, निर्भर करते हैं। निरपेक्ष धर्म नाम की कोई चीज नहीं है।"
"इतने धर्मशास्त्र क्यों बनाये गये हैं?"
"जो मंदबुद्धि हैं, उन्हीं के लिए धर्मशास्त्र बनाये गये हैं। जो बुद्धिमान हैं, वे स्वयं अपना मार्ग पा लेते हैं।" :)
— Apr 24, 2019 04:56AM
"बड़ों-बड़ों की समझ में नहीं आता! ऐसा कोई धर्म नहीं, जो सर्वदा सर्वथा सबके लिए लागू हो। सभी धर्म आपेक्षिक होते हैं, अवस्थाओं पर, परिस्थितियों पर, निर्भर करते हैं। निरपेक्ष धर्म नाम की कोई चीज नहीं है।"
"इतने धर्मशास्त्र क्यों बनाये गये हैं?"
"जो मंदबुद्धि हैं, उन्हीं के लिए धर्मशास्त्र बनाये गये हैं। जो बुद्धिमान हैं, वे स्वयं अपना मार्ग पा लेते हैं।" :)
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E.T.
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"ठग विद्या अंधकार में ही चलती है। पाश्चात्य विज्ञान ‘रेडियो’, ‘टेलीविजन’ निकालता है, तो सारी पृथ्वी पर खिरा देता है। परंतु अपने देश के किसी पंडित को यह विद्या हाथ लग जाती तो पता नहीं, कितना आडंबर फैलाते! कहते कि सीधे ब्रह्मलोक से आकाशवाणी आ रही है! यजमान को सचैल स्नान करा, अहोरात्र उपवास कराकर, शुभ नक्षत्र में स्वर्ण, धेनु, दान करवाकर, एकांत में श्मशान में ले जाकर, मृत व्यक्ति का स्वर सुना देते,आजीवन उसे दूहते रहते।
— Apr 24, 2019 03:56AM
E.T.
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मैंने कहा–खट्टर काका, गीता में जो इतना ज्ञानयोग, भक्तियोग, कर्मयोग भरा है...
खट्टर काका बोले–सभी योगों का लक्ष्य यही है कि तस्मात् युध्यस्व भारत। यानी “कौरवों को मारो।”
So either the Geeta has everything right or everything wrong ! Just as we can have either pseudo-secularism or communalism but not true secularism. The pendulum has to swing to the extremes.
— Apr 21, 2019 12:21AM
खट्टर काका बोले–सभी योगों का लक्ष्य यही है कि तस्मात् युध्यस्व भारत। यानी “कौरवों को मारो।”
So either the Geeta has everything right or everything wrong ! Just as we can have either pseudo-secularism or communalism but not true secularism. The pendulum has to swing to the extremes.

