चिखुरी Quotes
चिखुरी
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Vandana Yadav3 ratings, 5.00 average rating, 0 reviews
चिखुरी Quotes
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“छुटकू गिलहरी को याद आ रहा था कि मम्मी ने सजीव और निर्जीव में फ़र्क बताया था। उन्होंने कहा था कि जीवित पेड-पौधों और जानवरों में लचक होती है। जीवित होना यानी लचक होना। अकड़ जाना मौत की निशानी है। उसने पेड़ की डाल से नीचे देखा, सूखी टहनियां और पत्ते अकड़े पड़े थे जबकि जिस हरे-भरे पत्तों वाली पतली-सी टहनी पर छुटकू बैठी थी, वह पत्तों से लदी हुई लचीली डाल थी। उसे बात समझ आ गई थी कि जीवित रहने के लिए लचीला होना ज़रूरी है।”
― चिखुरी
― चिखुरी
“छुटकू गिलहरी ने देखा कि खेत में रहने वाला इंसान कागज के पुलिंदे में कुछ देख रहा था। छुटकू के मन में कई दिनों से दबी हुई जिज्ञासा उठ खड़ी हुई। वह जानना चाहती थी कि इंसान कागजों में क्या करता है। हर दिन की तरह उस दिन भी वह बहुत समय से कागज़ों में कुछ किए जा रहा था।”
― चिखुरी
― चिखुरी
“चिखुरी को अभी खेत-खलिहान का फर्क समझ नहीं आया है। वह तो यह भी नहीं जानती की वह कहाँ रहती है! यह पेड़ कहाँ पर उगा हुआ है, यह कोई शहर है या गाँव है? दरअसल उसे यह जानने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी कि वह धरती के किस हिस्से में रहती है। भूख के समय उसे भोजन मिल जाता है और प्यास लगने पर पानी का इंतज़ाम भी हो जाता है। इससे आगे की चिंता उसे अब तक हुई ही नहीं। अभी वह नहीं जानती कि मौसम बदलते भी हैं और बदलाव अपने साथ संघर्ष लाता है।”
― चिखुरी
― चिखुरी
