Dinkar Joshi
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Mahamanav Sardar [મહામાનવ સરદાર]
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published
2014
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8 editions
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Mahatma Vs Gandhi
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published
1988
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6 editions
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श्याम, फिर एक बार तुम मिल जाते
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द्वारका का सूर्यास्त
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प्रतिनायक
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published
2005
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5 editions
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Ayodhyecha_Ravan_Lankecha_Ram
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KRISHNAM VANDE JAGADGURUM by DINKAR JOSHI: Revering Lord Krishna
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પ્રશ્નપ્રદેશની પેલે પાર
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published
2008
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2 editions
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Mahabharat: Ek Darshan
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published
2016
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2 editions
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Mahabharatatil Matru Vandana
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“सरदार,'' गांधीजी ने कहा, ''अल्पमत हमेशा असुरक्षा के भाव का अनुभव करता है। आप उनकी परिस्थिति के बारे में सहानुभूतिपूर्वक सोचकर मुस्लिमों की ओर नहीं हो सकते?'' ''यह कैसे संभव है, बापू? तीस साल तक आपके चरणों में बैठकर जिस न्याय एवं नीति को सीखा है, उसमें कहीं भी हिंदू पक्ष या मुस्लिम पक्ष का पाठ नहीं सीखा।'' इतना कहकर सरदार ने नजर फेर ली।”
― Mahamanav Sardar (Hindi)
― Mahamanav Sardar (Hindi)
“गांधीजी ने सरदार से कहा भी था—''सरदार, देश के अल्पमत की यदि यह सोच है कि उन्हें इस देश में न्याय प्राप्त नहीं हो रहा और उनकी रक्षा नहीं की जाती, तो उसे मैं हमारी असफलता ही मानता हूँ।'' ''बापू, जो लोग कल तक पाकिस्तान की माँग कर रहे थे वे रातोरात इस देश के वफादार हो जाएँ, इस बात को देश के अन्य करोड़ों लोग स्वीकार नहीं कर सकते।”
― Mahamanav Sardar (Hindi)
― Mahamanav Sardar (Hindi)
“देहधारी के लिए इस परम सत्य को समझने का कदाचित् यही मौका है। देहधारी स्वयं में कोई निर्माण नहीं है, अर्जुन, वह मात्र निमित्त है! देह द्वारा प्रकट सत्य मात्र उस क्षण का सत्य होता है। उस सत्य को, उस क्षण प्राप्त करने में जो पीछे रह जाते हैं, उनके लिए फिर नया सत्य प्रकट होता है। सत्य की यही प्रक्रिया है जो शाश्वत है, वत्स!”
― श्याम, फिर एक बार तुम मिल जाते
― श्याम, फिर एक बार तुम मिल जाते
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