Sushobhit
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“मनुष्य अंधकार में जी सकता है, अन्याय में जी सकता है, किंतु आशा के बिना नहीं जी सकता। आदर्श का एक विग्रह उसे अपने सम्मुख चाहिए। ईश्वरीय नहीं, मानुषी विग्रह। जिसकी तरफ़ नज़र बढ़ाकर देखा जा सके। जो प्रेरित कर सके। यह विश्वास दिला सके कि अभी सबकुछ ख़त्म नहीं हुआ है। कि अभी भलाई का अंत नहीं हुआ। कि सत्य, अहिंसा, ईमानदारी, आत्मपरीक्षण, परदु:खकातरता जैसे मूल्य अभी खंख नहीं हुए।”
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Goodreads Librari...: add a new hindi book -देखने की तृष्णा by sushobit(completed) | 6 | 42 | Aug 09, 2022 11:36PM |
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