बलेड है तकदीर नहीं जो हाथ से फिसल जाए,
पकडो उस गुणवान धनी को जो तकदीर मसल आए,
अरे तकदीर बनी थी पिसतौल की छबि, फट से अंदर तक हो आए,
अब इसमें कया संकोच है इतनी, के गुणवान अंदर ना हो आए,
अब अंदर की बात बस अंदर की नहीं है, ये तो बात है अंदरूनी की,
जो यूहीं बस झट से नाच उठे, जब जान हो बन आने … Read the rest
Source
Published on August 22, 2018 20:27