Avishek Sahu's Blog: Views From The Left

May 24, 2024

ବିଚିତ୍ର ଅନୁମାନ ସିଧା ହାଙ୍କିଲା।

ବିଚିତ୍ର ଅନୁମାନ ସିଧା ହାଙ୍କିଲା ନଇକି କହିକି ଶିଖିଲେ ସହିକି ବେଇମାନ,
ଚଳଚିତ୍ର ସାଭଦାନ ବାଧା ବଙ୍କିଲା ଖାଇକି ରହିକି ଦେଖିଲେ ଦହକି ମେହେର୍ବାନ,
କୋଢ଼ିଆ ଗାଉଁଲି ନୁହେଁ ନାଁ କରେ କହିକି ଶୁଣିକି ଓଲଟା ହେଲା ଟଙ୍କା ନିଆ ପଲଟା,
ଚଢ଼ି ଆ ସାଉଁଲି ନୁହେଁ ଗାଁ ଧରେ ବହିକି ଚହକି କଣ୍ଟା ଦେଲା ବଙ୍କା ଥୁଆ ହଳଟା,

ହଳ ବାଲି ଆଡ଼େ ଚାଷୀ ପ୍ରମାଣ ନାହିଁକି ଚାଷ ଘରେ ଥିଲା ଇଟା ନିଆଁ ଜାଣିକି,
ବଳ କାଲି ଆଡ଼େ ବାସି ବାଣ କାହିଁକି ରସ ପରେ ଦେଲା ପିଟା ଧୁଆଁ ଛାଣିକି,
ତେଲ ଖୋଲା ଥିଲା ଖରା ବେଳେ ରାତି ସମ୍ମାନ ଦେଲା ବେଲର ନେଲ ବେପାର ଖୋଲା ହେଲା,
ପେଲ ଖୋଲା ପିଲା ଚରା ପାଳେ ଜାତି ଦୋକାନ ହେଲା ଡଲର ଗେଲ ଶିକାର ଚ...

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Published on May 24, 2024 19:53

May 23, 2024

लागी लगी होती शराब पे।

मोह सराहा बत्तीसी का तीस पे बीस चालिस पे शीश और आगे विष खिंचा पानी पे,
जो चौराहा चारसौबीसी का इस पे रईस मालिस पे निरामीष तौर धागे इश पचा रानी पे,
दानी हानी था पहचाना हुआ बेगाना ज़ुल्म करम सा भरम दुघना कलम कैसे,
मानहानी जानी था क़ातिलाना हुआ परवाना जुर्म बलम सा धरम चुगना जनम जैसे,

सनम कार्यक्रम एक घंटा रामायण भी महाभारत चलती गई भारत में विभाजन छेड़ दम का,
परम सेवाश्रम नेक जंटा डायन भी शोहरत मलती गई औरत में निर्वाचन पेड़ बम का,
बारूद कालिक विद्यालय से तीखा कान नाबालिक मालिक ग़म सनसनी पे रियाज़ आप ...

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Published on May 23, 2024 07:46

अड़ी कड़ी है आंत पे।

निषेध खट्टा पान पे हुआ कैसे जुआ ऐसे तो कमसिन ना था,
अभेद पट्टा शान पे मालपुआ कैसे दुआ ऐसे तो हम बिन ना था,
राख उठी जुमले का शाख फटी हमले का कमला ग़ुलाबो आंकड़ा मिटी शून्य अमर है,
सुराख बंटी पगले का खुराख हटी चुगले का शिमला शराबों केंकड़ा छटी माननीय कमर है,

बीज भली काले पे चमड़ा हरा पीला दला जुनून वेला कटा निगला संगीन हुआ,
चीज खली उबाले पे पकड़ा चरा लीला गला कानून ठेला रटा पिघला रंगीन हुआ,
चिल्लर ताजा वोट पे नोट आकार रोट पे राजा खजूर कांड का थाना ताना बाना सख्त है,
बत्तर बाजा टोट पे विस्फोट स्वीका...

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Published on May 23, 2024 07:07

मतलब, हैवानियत

मतलब कभी ढूंडा था मैंने यूहीं कांटों के रस्तों पे चलते चलते,
नाक में दम कर रखा था दिल ज़ख्मों पे नमक मलते मलते,
बोला यूहीं नहीं मिल गया तुझे सुकून उन नटखट रातों की बातों में,
और यूहीं नहीं बच गया था तू उन बातों से भरी मुलाकातों में।

अब इतना ना बौखलाते जा तू भीख के सरहदों पे रेंगते हुए,
इतना भी होता अक्कड़ तो घरवालों को ना मिलता फेंकते हुए,
फेंक के होजाता अगर तू बादशाह उन अनजाने शहरों का,
ना धड़कता में इतनी ज़ोर जब आया था फरमान सुन बेहरों का।

इतने में में भी गया सटिया सा दिल के बाहों में,
बोला ये ...

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Published on May 23, 2024 06:27

May 21, 2024

खटक भूक भटकाई होगी इस सेंक पे।

मानव आकार में मानव दिखा छल पुरानी बात नूरानी सा,
दानव बहार में दानव बिका बल हैवानी लात जवानी सा,
जवान मोहब्बत गुमशुदे के दबदबे पे पहचाना कौन गुम हुए दुम को,
हैवान हकीकत सजदे के मरहबे पे ठिकाना मौन तुम हुए कुमकुम को,
लाल थी कभी जाल भी महाकाल हुई तो सरक गई उसकी चाल ताज़ी खोली पे,
हाल थी सभी शकाल भी गुलाल हुई तो भड़क गई खिसकी माल बाज़ी गोली पे,
गोली अधूरा था बिजली दम ट्रिगर फिसल गई तो छाप निकला उसका गरम ब्रह्म भ्रष्ट हुआ,
मोली सवेरा था पतली हम जिगर मसल गई तो ताप फिसला जिसका नरम दम कष्ट हुआ,

कष्ट कि...

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Published on May 21, 2024 23:54

जात जाकी सरफिरे में।

छिड़ी धार थी बर्फी आकार में पान प्यार मोड़ा हथ्यार का,
भिड़ी पार थी चरसी बहार में दान उधार जोड़ा फरार का,
इक्का तुक्का हुआ बादशाह डटा रहा सोना हुकुम जब बेग़म ग़ुलाम रोई दस पे,
सिक्का लुक्का हुआ हताशा बटा सहा जो ना जुलुम सब रहम नीलाम सोई रस पे,
इतने में हार जगा सलामी नीलामी से जीत रेत का खेत प्रमाण जब मिर्ची तिरछी सटके ठाट पे,
जितने में चार सगा ग़ुलामी हरामी से मीत बेत का समेत निर्माण गजब खर्ची पर्छी मटके घाट पे,

घाटी हां घाटी नाम विद्यालय मोहर से जाैहर बिका कालिक था मान बात डगमगाई तो,
माटी जहां मा...

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Published on May 21, 2024 03:54

November 30, 2022

Putt in The Hustings

Look as tantrum in a deluge of profits unrecognized
Edged up by gaps for all the knicks uncompromised
Tricked by hicks with carrots that point to all uncashed
If it were gold for the taking it would be her call unabashed

The Silver’s a sliver when seen in the edge unholstered
The beaver is a giver when been to dredge unbolstered
Bolster I must the weight in the look uncompromised
If hick bold to gold good’s the will thus fantasized

But that’s border for goodies foodies devoured rife
With the orde...

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Published on November 30, 2022 18:43

November 9, 2022

खर्राटे में क़ाफिर से

उलझी चाह भूतकाल के भूत धूत सुलझी नुमाइश पे,
सुलझे कम थे तो कम होंगे जब दूत समझी सिफारिश पे,
समझ बात का कोहड़ा सा जब बारिश पराई होती जस्बे में,
तलब सात का फोड़ा सा तो देखो ख़्वाहिश हवाई जाती कस्बे में

नीचे इमली बीच से गुज़री कमीनी तवायफ की नज़र किसान पे,
पीछे चुगली खींच के जकड़ी भागो उसकी खौफ का बज़र धूम्रपान पे,
फूँक मारा दुबारा मारा एक से छबी कायम होती तो ऊपरी शिक्षा पे,
थूक सारा नज़ारा तारा पोल ज़हन में खुली दबी मुलायम नौकरी रिक्शा पे

खींचा तो हम भी गाड़ी में अनाड़ी ज़हन में होते भट्टी में ठण्ड ज़्यादा है,...

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Published on November 09, 2022 19:49

जगो खर्राटे में क़ाफिर से

उलझी चाह भूतकाल के भूत धूत सुलझी नुमाइश पे,
सुलझे कम थे तो कम होंगे जब दूत समझी सिफारिश पे,
समझ बात का कोहड़ा सा जब बारिश पराई होती जस्बे में,
तलब सात का फोड़ा सा तो देखो ख़्वाहिश हवाई जाती कस्बे में

नीचे इमली बीच से गुज़री कमीनी तवायफ की नज़र किसान पे,
पीछे चुगली खींच के जकड़ी भागो उसकी खौफ का बज़र धूम्रपान पे,
फूँक मारा दुबारा मारा एक से छबी कायम होती तो ऊपरी शिक्षा पे,
थूक सारा नज़ारा तारा पोल ज़हन में खुली दबी मुलायम नौकरी रिक्शा पे

खींचा तो हम भी गाड़ी में अनाड़ी ज़हन में होते भट्टी में ठण्ड ज़्यादा है,...

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Published on November 09, 2022 19:49

अलबेला कड़ा हुआ

बदली करीबी कहीं पैसों से बिछड़े हुए गरीबी से,
बिछड़े हुए कम थे जब बेगम थे उजड़े हुए शराबी से,
शराब था नकाब था जवाब था अंधरूनी तो मुसाफिर सा,
खराब था बेताब था नवाब था कानूनी तो हंसा चतुर सिर सा,

बाल थे बचपन में जुनून का तोड़ मरोड़ तो बाकी जवान होंगे,
काल थे सच मन में सुकून का जोड़ करोड़ तो साकी हैवान होंगे,
हम में थी मातम में थी ख़तम हुई थी फोड़ में लाख सिसकी सा,
रम में थी सादम में थी जनम हुई थी रोड़ में राख व्हिस्की सा,

राख सस्ती हुई तलाख बस्ती हुई चराख कुश्ती हुई ये लो बावला है,
शाख हस्ती हुई गराख मस्ती ह...

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Published on November 09, 2022 08:57

Views From The Left

Avishek Sahu
An insouciant take on life in general with a focus on seeking alternate theories to broad social factors that affect us.
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