इस मिट्टी के संग।

सुना है कुछ लोग मजाक नहीं सेह सकते,

एक छोटे से बचचे को सुला नहीं सकते,

बरसते हैं वो सब बस दिखाने के लिए,

के बाकी तो बने हैं सिरफ हडकाने के लिए,

तभी तो जाओगे इस मिटटी के संग,

जहां कोई ना जाए फेंकने दो रंग,

अब रंग ही तो हम बस फेंक आए हैं,

वरना कयूं उस मुशकिल में फस आए हैं,

वैसी होगी अगर कहीं पे किसी … Read the rest

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Published on August 22, 2018 16:13
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Avishek Sahu
An insouciant take on life in general with a focus on seeking alternate theories to broad social factors that affect us.
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