बातें

कुछ बातें लिखना, लिख कर मिटाना
शब्दों की ढेरी पे बैठ, मंद मंद मुसकुराना
सब कुछ बताना, पर कुछ कुछ छुपाना
जिल्द चढ़ा फिर उसको छपवाना
सच की परछाइयों की कल कश्ती बहाना

 •  0 comments  •  flag
Share on Twitter
Published on November 05, 2020 04:39
No comments have been added yet.