Rijuta Gupta's Blog

October 14, 2023

लाल लाशें

खून से लथपथ लाशों को
कहो कैसे पहचाना जाए,
लाल रंग से ढकी पड़ी हैं
जलाएं उन्हें या दफनाया जाए
– ऋजुता

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Published on October 14, 2023 23:45

August 4, 2023

लाल रंग

आओ तुम्हें मैं लोरी सुनाऊं
सपनों की सुंदर सी दुनिया सजाऊं

अच्छा तो तुमको, लाल रंग पसंद है
सच कहूं, मुझको थोड़ा सा लगता डर है

रुको, बैठो, न यूं उठ के जाओ
पलकों को मूंदे मेरे पास आओ
छाती पे मेरी कान धरो अब
क्या सुना तुमने, थोड़ा मुझे भी बताओ

क्या कहा, कहीं कोई आवाज़ नहीं है
कांच की बोतलें टूटती, पर चींखती नहीं हैं
हर तरफ लहू है, पर लाल रंग का नहीं है

रंगरेजों ने ही यकीनन ये रंग चुराया
लाल चुनियों से फिर बाज़ार सजाया

मैं भी डर छोड़, तेरे साथ चलता हूं
राह तेरी सही, वही राह पकड़ता हूं
आज हमारे हाथ मिलाने का दिन है
चुनियों से रंग उड़ाने का दिन है

-ऋजुता

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Published on August 04, 2023 14:17

मुझको आग लगाने दो

क्रोध बहुत है भरा पड़ा
वर्षों से है पला बढ़ा
अंदर सिमट नहीं पायेगा
मुझको आग लगाने दो

खींच लेने दो तलवारों को
बह लेने दो सड़कों पर ख़ून

अर्थी जब कोई उठे
कंधे कम पड़ जाने दो
लाशों के अंबारों पर
आंखों को पथराने दो

-ऋजुता

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Published on August 04, 2023 04:23

February 17, 2023

जल-प्रवाह

जल-प्रवाह गतिशील रहे

उन्मुक्त रहे, हुंकार भरे

निर्मल तभी वो रहता है

गर्त में पड़े पड़े

परत धूल की चढ़ाओगे

एक दिन औरों की तरह

तुम भी गदला जल बन जाओगे

-ऋजुता

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Published on February 17, 2023 13:08

October 22, 2022

पिघलता सूरज

क्या आज फिर कहीं किसी का दिन ढल रहा है
एक और सूरज अपनी ही लौ से, देखो पिघल रहा है

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Published on October 22, 2022 02:16

निशब्द भावनाएं

लिखती हूं और फिर सोचती हूं
निशब्द भावनाएं क्यों दूषित हो जाती हैं, शब्दों में घिर कर
क्या अक्षर, मात्राएं और व्याकरण रौंद देती हैं मन के उद्गार को
या लोगों के अनुसार ढालने की कोशिश, छलनी कर देती है उन भावनाओं को
नहीं जानती मैं, क्यों और कैसे
पर शब्दों की चोट से आहत,
वो निशब्द भावनाएं मरती नहीं,
हृदय के किसी कोने में बैठ जाती हैं,
छुप कर मुझसे ही

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Published on October 22, 2022 02:06

April 12, 2022

रियाज़-ए-दुश्मनी

दुश्मन न मिले कोई अगर,
अपनों को कत्ल कर दफनाना होगा।
रियाज़-ए-दुश्मनी को क्योंकि,
हर हाल में निभाना होगा।

रंजिशों के दौर का कोई छोर नहीं,
खून है सभी रगों में,
उस खून को सड़कों पर बहाना होगा।

– ऋजुता

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Published on April 12, 2022 02:37

February 18, 2022

रिवाजों से परहेज़

रिवाजों से परहेज़ है हमें,
ये तुम्हे समझाएं कैसे

खुद की लकीरों को भी मिटाते रहे हम,
दूसरे के दायरों में फिर बंध जाएं कैसे

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Published on February 18, 2022 14:35

February 9, 2022

पक्ष-विपक्ष

बात सही गलत की नहीं
है बात पक्ष विपक्ष की

जिसे भी तुमने चुना
है माफ़ उसका हर गुनाह

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Published on February 09, 2022 22:40

February 3, 2022

समय और स्वपन

समय कम और स्वपन बड़ा था
सो मैंने स्वपन हलाक किया
फिर समय की अदावत में
अपना जीवन भी बरबाद किया


हलाक़ – नष्ट
अदावत – शत्रुता

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Published on February 03, 2022 19:09