निशब्द भावनाएं

लिखती हूं और फिर सोचती हूं
निशब्द भावनाएं क्यों दूषित हो जाती हैं, शब्दों में घिर कर
क्या अक्षर, मात्राएं और व्याकरण रौंद देती हैं मन के उद्गार को
या लोगों के अनुसार ढालने की कोशिश, छलनी कर देती है उन भावनाओं को
नहीं जानती मैं, क्यों और कैसे
पर शब्दों की चोट से आहत,
वो निशब्द भावनाएं मरती नहीं,
हृदय के किसी कोने में बैठ जाती हैं,
छुप कर मुझसे ही

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Published on October 22, 2022 02:06
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