रियाज़-ए-दुश्मनी

दुश्मन न मिले कोई अगर,
अपनों को कत्ल कर दफनाना होगा।
रियाज़-ए-दुश्मनी को क्योंकि,
हर हाल में निभाना होगा।

रंजिशों के दौर का कोई छोर नहीं,
खून है सभी रगों में,
उस खून को सड़कों पर बहाना होगा।

– ऋजुता

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Published on April 12, 2022 02:37
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