मुझको आग लगाने दो

क्रोध बहुत है भरा पड़ा
वर्षों से है पला बढ़ा
अंदर सिमट नहीं पायेगा
मुझको आग लगाने दो

खींच लेने दो तलवारों को
बह लेने दो सड़कों पर ख़ून

अर्थी जब कोई उठे
कंधे कम पड़ जाने दो
लाशों के अंबारों पर
आंखों को पथराने दो

-ऋजुता

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Published on August 04, 2023 04:23
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