अग्नि पिंड

कौन होते हैं वो लोग और रहते कहाँ हैं,
अग्निकुंड में जो कूद पड़ते हैं, बिना परवाह?

परवाह अगर हो भी, उसे भस्म कर देते हैं वो
उसी अग्नि में, जो जलती है उनके भीतर और बाहर
इंसान नहीं लगते, प्रतीत होते हैं एक अग्नि पिंड
इंसानी रूप धरे जो, आते हैं धरा पर
धूमिल सी ही सही, एक लौ जलाने, हर हृदय में।

– ऋजुता

 •  0 comments  •  flag
Share on Twitter
Published on January 25, 2022 12:15
No comments have been added yet.