इतवार का एक दिन

प्रिय अरहान, 
ये कहानियाँ कहने के लिए धन्यवाद। मैं शोर्ट स्टोरीज़ का शैदाई हूँ। कॉलेज के दिनों से अब तक कहानियों की किताबें ढूंढता रहा हूँ। देस-बिदेस के अनेक कथा संकलन मैंने केवल इसलिए ख़रीदे कि जाना-अजाना भूगोल, देखे-कल्पित चेहरे और स्मृति के भेष में प्रेम को पढ़ा जा सके। 
कहानियाँ संकरी और शीघ्र समाप्त हो जाने वाली गलियाँ हैं। इनमें प्रवेश करने के बाद हम दोनों ओर की दीवारों को छूते-महसूस करते हुए चल सकते हैं। हम बहुत महीन चीज़ों के छूट जाने डर से आहिस्ता चलते हैं। हम खुरदरेपन और नमी को अपनी अंगुलियों के पोरों से महसूस करते हैं। कभी ठहरकर थोड़ा पीछे भी झाँक लेते हैं। जैसे पास से गुज़रा कोई चेहरा धुंधला सा याद आया हो। फिर हम उसकी ठीक पहचान के लिए रुक गए हैं। 
बारह बरस पहले हम अजनबी एक साथ खड़े थे। उस समय मैं अपनी लिखी कहानियों को प्रकाशित पुस्तकाकार रूप में देख रहा था। शैलेश के छोटे से हिन्द युग्म की चंद शेल्फ़ पर न्यूनतम किताबों में मेरी किताब रखी थी। आपके जैसे कुछ और भी दोस्त आए। दो चार रोज़ का मेरा मेला इतने भर में ही संपन्न हो गया था। मुझे जिस सुख से गुज़रना था, वह केवल लिखना भर था। मैंने लिखा। दूसरा सुख उससे अधिक पुराना है, पढ़ना। तो मैंने अनेक कहानियाँ पढ़ीं। अनवरत पढ़ रहा हूँ।
उन बरसों में मुझे निधीश त्यागी का कहानी संग्रह तमन्ना, तुम अब कहाँ हो? बहुत पसंद आया था। मैं एक प्रति मंगवाता और उसे किसी दोस्त को दे देता। इस तरह मुझे याद है कि मैंने उस कहानी संग्रह को पाँच बार खरीदा था। अजब बात ये है कि मैं अब भी पाता हूँ कि वह किताब मेरी किताबों के बीच से गायब है। मैं इसे फिर से मंगवाने का मन रखता हूँ। 
हर कहानीकार अनूठा है। अरहान भी जुदा है। मुझे इस बात की प्रसन्नता हुई। सब कहानियों के बारे में बात करना कठिन है। हम कभी मिल बैठेंगे तब कहानी पढ़ना और बात करेंगे। कहानियों में बिम्ब सुंदर हैं। वे इसलिए सुंदर है कि पढ़ते समय वे बिम्ब की तरह नहीं दिखते। पिछली पंक्ति या उपसंहार की पंक्ति में लौटकर पढ़ने पर मालूम होता है कि आह कितनी सुंदर बात इस सरलता से कह दी और इसका गहरा अर्थ निकलता है। 
इंस्टाग्राम पर चार पाँच पाठक मित्रो ने पूछा कि ये कैसी किताब है। हम किसी को क्या कह सकते हैं कि कोई किताब कैसी है? इसलिए कि किताबें उसी तरह अनूठी होती हैं, जितने व्यक्ति अनूठे होते हैं। कोई किसी के जैसा नहीं होता। अगर किताब और व्यक्ति का मन मिलता है तो वह उसे बहुत सुंदर कहेगा। किंतु ऐसा नहीं होता है तो ये एक बोझ सा लगेगा। इसलिए मैं केवल इतना कह पाया कि मुझे ऐसी कहानियाँ प्रिय हैं।
कहानियाँ बहुत अलग मूड और टेक्सचर की हैं। ये सरल हैं किंतु गहरी हैं। ये किसी पीड़ा का बयान भर नहीं हैं। इनमें कोई अवास्तविक संसार नहीं हैं। इनमें जहाँ कहीं कल्पना से ऐसा संसार रचा गया है, जो एक नया उदास दृश्य उकेरता है। इस दृश्य में बहुत रिक्त स्थान हैं। इस रिक्तता में पाठक खड़ा होकर खोज सकता है कि क्या छूट गया है। 
मैंने बहुत बरस पीछे हंगरी की कहानियों का एक संग्रह पढ़ा। उड़न छू गाँव। बहुत सुंदर और सशक्त कहानियाँ संकलित हैं। उन कहानियों पर कई टिप्पणियां मैंने भावातिरेक में लिखी और ब्लॉग पर पोस्ट की थीं। मैं हंगरी नहीं गया मैंने कहानियाँ पढ़कर कल्पना की, ऐसा दिखता होगा। ऐसे लोग होंगे। ठीक ऐसे ही स्विस कहानियों का संग्रह था। ऐसी ही अफ़्रीकी कहानियाँ एक संकलन में थी। उन सब कहानियों का काल पुराना है। काश अब कोई ऐसा संग्रह पढ़ने को मिले, जो नई उम्र की, नई फ़स्ल की कही हुई हों। 
इतवार का एक दिन, ऐसी कहानियाँ हैं। कहीं पुराने कथानक पर नई तरतीब है, कहीं इतनी ऐब्सट्रेक्ट कहानियाँ हैं कि लगता है कोई दृश्य देखा और संपन्न हो गया। कभी रुककर याद किया कि ये कहानियाँ असल में लिखने का सुख है। जैसे हम फुटकर नोट्स लिखते हैं। जैसे डायरी में कहीं उदासी टाँग देते हैं। कहीं प्रतिशोध में इतनी बार रूपायित होते हैं कि समझ नहीं आता। हम क्या हैं? कहीं न कहीं कोई सामाजिक सरोकार है, जिसे पूरे उबाऊ होने के बाद भी नए सलीके से कह दिया गया है। 
मुझे खुशी है कि इस कहानी संग्रह ने मुझे बाँध कर रखा। सप्ताह भर में इसे टुकड़ों में पढ़ा। असल में ये रुक-रुककर पढ़ने के लिए कही गई कहानियाँ हैं। शोर्ट स्टोरी की विशेषता भी मुझे यही लगती है कि आप अपने प्रिय माध्यम से थोड़ा हाई हो जाएँ और कुछ टहल कर लौट आएँ। फिर अगली फुरसत में पढ़ने लगें। 
आगे और अधिक तरतीब से कहानियाँ कहना। बहुत धैर्य के साथ एक-एक कहानी को पूरा करना। जब लगे कि कहानी मुकम्मल हो गई है, उस समय उसको पुनः खोलना और रिक्तता को भर देना। 
मैं अगले कहानी संग्रह की प्रतीक्षा करूँगा। अगले बरस के पुस्तक मेला में आना हुआ तो हम मिलेंगे। 
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Published on August 10, 2025 03:00
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Kishore Chaudhary
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