भ्रम है कि कुछ

 तुम मुझे प्रेम कर रहे हो और ये एक इल्यूजन है। तो भी ये बहुत सुंदर है। 


इन दिनों मैं जब लिखता हूँ तब वाक्य से कोई एक शब्द छूट जाता है। उस छूटे हुए शब्द को मैं पढ़ता हूँ। जबकि वह वहाँ लिखा नहीं होता है। कुछ देर बाद मुझे समझ आता है कि वाक्य से शब्द छूट गया है। 
मैं जो सोचता हूँ, उसे ठीक लिखा गया है के भ्रम में जीना कोई अचरज भरी बात नहीं है। अनेक व्यक्तियों के साथ ऐसा होता। किंतु हम प्रायः अचम्भे से भर उठते हैं। जैसे किसी शहर पहली बार गए हों और अनुभूत करें कि इसे पहले भी देखा है। 
हम किसी अजनबी को देखकर चौंक जाएँ और समझें कि इस व्यक्ति से पहले भी मिलना हुआ है। किसी दफ्तर में काम आरम्भ करें और पाएँ कि अरे मैं यहाँ पहले भी काम करता था। 
ये सब असामान्य जान पड़ सकता है किंतु हमारा मस्तिष्क निरंतर सूचनाओं से घिरा रहने के कारण कभी जटिल व्यवहार करता है। जैसे कि कोई ठीक बात नहीं है मगर रोना आ रहा है। रोना आना अकारण नहीं है। वास्तविक कारण मस्तिष्क की जटिल रचना में कहीं खो गया है। रोने का कारण बनने वाली सूचना, अनुभूति को जागृत करके कहीं अंतरिक्ष में खो गई है। 
ए स्ट्रीटकार नेम्ड डिजायर, टेनेसी विलियम्स का सबसे प्रसिद्ध नाटक है और यह 20वीं सदी के अमेरिकी साहित्य का एक क्लासिक माना जाता है। 
इस नाटक की नायिका ब्लैंच डुबोइस अपने पुराने, अभिजात्य परिवार का घर खोने के बाद, अपनी बहन स्टैला के पास न्यू ऑरलियन्स में आ जाती है। उसका पुराना घर नहीं रहा। वह नए शहर में आ गई है किंतु मस्तिष्क में वह घर किसी जानकारी की भाँति सदैव उपस्थित रहेगा। हम अनेक बार किसी पुराने में घर में होने का आभास करते हैं। जबकि वास्तविकता में ऐसा नहीं होता। तो क्या वह घर चलकर हमारे पास आ जाता है। या हम उसी घर में लौटने की इच्छा से किसी भ्रम में पड़ जाते हैं। 
ब्लैंच के चरित्र के माध्यम से, ये धारणा उभरती है कि कभी-कभी लोग भ्रम को यथार्थ से अधिक पसंद करते हैं। इल्यूजन सम्मोहक भी हो सकता है। ब्लैंच कहती है कि उसे कठोर सच्चाई नहीं चाहिए, बल्कि सुंदर झूठ चाहिए। 
हाई होने की अवस्था या मद में होने पर वास्तविकता और सोचने-समझने में अंतर आ जाता है। कभी-कभी भ्रम जादुई, अविश्वसनीय और प्रेतात्मक दृश्य रच लेता है। 
जेम्स थर्बर की एक कहानी है द सीक्रेट लाइफ ऑफ़ वाल्टर मिटी। अच्छी कहानी है। नायक एक साधारण व्यक्ति है। वह अपनी पत्नी के साथ शहर में खरीदारी करने जाता है। लेकिन रोज़मर्रा की हर छोटी घटना उसके भीतर कल्पना का तूफ़ान पैदा कर देती है।
जब कार चला रहा होता है, वह खुद को बहादुर पायलट के रूप में देखता है। जब अस्पताल के पास से गुजरता है, तो खुद को एक महान सर्जन समझने लगता है जो एक जटिल ऑपरेशन कर रहा है। अदालत के पास से गुज़रते ही वह कल्पना करता है कि वह एक मामले का मुख्य गवाह है और बहादुरी से गवाही दे रहा है।
असलियत में वाल्टर बहुत शर्मिला आदमी है मगर कल्पना में वह निडर और आत्मविश्वासी व्यक्ति है। 
वॉल्टर अपने नीरस जीवन से बचने के लिए कल्पना की दुनिया में जीता है। असल जिंदगी में वह जो नहीं कर पाता, कल्पना में करता है। इसे पलायनवादी होना कह सकते हैं। मगर ये कल्पनाएं उसके लिए जीने का साहस जुटाती हैं। 
हम जीवन के लिए अनेक जुगत लगाते हैं। ऐन ऑक्युरेंस एट आउल क्रीक ब्रिज, सदी से अधिक पुरानी कहानी है। एम्ब्रोस ब्राइस ने एक ऐसा पात्र रचा, जिसे फाँसी दी जानी है। 
फाँसी तय है मगर जैसे ही फंदा खींचा जाता है पेटन फ़ार्क्वार नदी में गिर पड़ता है। असल में उसके फंदे की रस्सी टूट जाती है। इसके बाद वह गोलीबारी से बचता हुआ जंगल में भागता जाता है। इस भागने की डिटेलिंग अद्भुत है। 
वह अपने घर पहुँच जाता है। अपनी पत्नी को देखता है। वह उसे गले लगाने को होता है कि गर्दन के टूटने की आवाज़ आती है। 
कथा के उपसंहार में पाठक को समझ आता है कि वह वास्तव में भ्रांति में जी रहा था। माना जाता है कि मृत्यु से ठीक पहले इंसान का मन तेज़ी से काम करता है। पूरा जीवन या समस्त कल्पनाएं एक ही पल में उसके मस्तिष्क से गुज़र सकती है। ये भी एक भ्रम से भरा क्षण होता होगा कि द्रुत गति से भागते अतीत के दृश्यों को वह सचमुच का जीवन समझता है।  
अनेक बार हमें आख़िर तक मालूम नहीं होता ये भ्रम है या सच। कभी हम भ्रम को सच मानकर उम्र भर इसी विश्वास में बने रहते हैं। ये भी जीवन की लालसा ही है। 
सुषमा गुप्ता का नवीनतम कहानी संग्रह मन विचित्र बुद्धि चरित्र कुछ माह पहले पढ़ा था। इस संग्रह की कुछ कहानियों में भ्रम का सुंदर रूपायन है या ये तत्व उपस्थित है। 
मन्त्रविद्ध कथा और अन्य कथाओं की पृष्ठभूमि सुंदर है। अलोप होते दृश्य से नवीन दृश्यों तक का निष्क्रमण अत्यधिक तीव्र है। पात्र भावनाओं की जटिलता में उलझे हुए हैं। उनको जो चाहिए वह कहते नहीं हैं, जहाँ होना चाहते हैं, वहाँ होने का स्वप्न इस तरह देखते हैं, जैसे वह वास्तविक जीवन है। 
उनके पास भी भ्रम है कि कुछ छूट गया है किंतु वे पुनः स्वयं को छूटे हुए स्थान पर पाते हैं। वे प्रेम से भरे हैं किंतु प्रेम के प्रकटीकरण में असमर्थ हैं। वे प्रेम की भावुकता का स्पर्श महसूस करते हैं। किंतु जाग में सोए हुए और सोने में जागे हुए प्रतीत होते हैं। वे अपनी कल्पना से दीवार के पार देख सकने जैसा अनुभूत करते हैं। उनकी कल्पना या भ्रम की वह स्थिति जिसे वे सच समझते हैं, उस में जीवन को पूर्ण वास्तविक जानते हैं। उनके सम्मुख उपस्थित संसार वास्तविक होते हुए भी अचरज भरा होता है। इस अनुभूति का धरातल इल्यूजन है। 
कथाएं लंबी हैं। शोर्ट स्टोरी के फॉर्म में आते ही एक दबाव में उछलने लगती हैं। जैसे गुब्बारे फोड़ने के खेल में कोई बार-बार चूकता है। एक आसान काम क्लिष्ट होता जाता है। कथानक में पाठक को अपनी कल्पना के कुछुओं से उतर कर प्रेत की भाँति दूसरे दृश्य में पहुंचना होता है। 
सब कहानियाँ आपको पसंद नहीं आ सकती। क्योंकि आपकी रुचि विशेष प्रकार के कथानक, शिल्प और डिटेलिंग में होती है। कथाकार अलग समय में अलग संसार रचता है। जिसकी भाषा और क्रियाएं भी अलग हैं। एक ही कथाकार की अलग कथाओं के लिए मेरा मन सचेत रहता है। वह हमेशा इस बात की तैयारी रखता है कि अगली कहानी में कथाकार किसी अन्य भाव में विचरण कर रहा होगा। 
इल्यूजन का संसार अद्भुत होता है। हम कितनी बार भ्रम के प्रेम में सुख पाते हैं और कितनी बार अपने साधारण होने को लांघकर कल्पना में विशेषज्ञ व्यक्ति के किरदार में पहुँच जाते हैं। कभी हम एक रेलवे स्टेशन पर बैठे वाइट क्रिपर्स को देखते हुए रंग बिरंगे फूलों से भरी घाटी में घूम आते हैं।


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Published on September 08, 2025 00:21
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Kishore Chaudhary
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