तुम्हारी आँखों में डूबता हूँ।

 एक गडरिया

अपनी समस्त भेड़ों को लेकर लौटता हुआ
खो जाता है ढलान के पार।
ठीक ऐसे मैं अपनी समस्त इच्छाओं के साथ
तुम्हारी आँखों में डूबता हूँ।
•••

चिड़िया एक चहक में हँसती है
मैं बंद आँखों से तुमको देखता हूँ
जबकि तुमको कभी देखा ही नहीं।

जबकि चिड़िया सचमुच हँसती है।
•••

तुम्हारी ठोड़ी का तिल विस्मृति में अलभ्य हो जाएगा। सूरत की याद धुंधली सी शेष रह जाएगी। उस समय कोई पुरानी तस्वीर दिख जाएगी तो शायद कोई बात भी याद आएगी। शायद सोचें भी कोई बात अनकही रह गई थी।

एक शोर है। कानों को छूकर गुज़र रहा है। दुनिया ठहरी हुई है मगर भागती सी नज़र आ रही है। हर लम्हे कोई दृश्य, कोई चौंध या कोई आवाज़ जागती है बुझ जाती है।

अपने होने के प्रदर्शन को बहुत दूर तक फैला देने को पाँखें फलाए हुए लोग उड़ते जाते हैं। उनको देखकर दिल उदास होता है। कहाँ जाओगे? कितनी दूर जाओगे। कितने बचे रहोगे। सब क्षण भर में स्मृति से मिट रहा है।

कोई नाम, यश, प्रतिष्ठा कुछ भी नहीं है। सबका वहम है जैसे कुछ बन रहे हैं। असल में मिटते जाने को देखने का हुनर कठिन है। इसलिए सब बनते जाने में लगे हैं। ये भोलापन है। ये नादानी है।


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Published on September 28, 2025 00:48
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Kishore Chaudhary
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