

“एक नशा होता है - अन्धकार के गरजते महासागर की चुनौती स्वीकार करने का, पवर्ताकार लहरों से खाली हाथ जूझने का, अनमापी गहराइयों में उतरते जाने का और फिर अपने आप को सारे खतरों में डालकर आस्था के, पर्काश के, सत्य के, मयार्दा के, कुछ कणों को बटोर कर, बचा कर, धरातल तक ले जाने का - इस नशे में इतनी गहरी वेदना और इतना तीखा सुख घुला-मिला रहता है कि उसके आस्वादन के लिए मन बेबस हो उठता है.
- धर्मवीर भारती. 'अंधायुग' की भूमिका में.”
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- धर्मवीर भारती. 'अंधायुग' की भूमिका में.”
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“सचमुच लगता हे कि प्रयाग का नगर-देवता स्वर्ग-कुंजों से निर्वासित कोई मनमौजी कलाकार है जिसके सृजन में हर रंग के डोरे हैं।”
― गुनाहों का देवता
― गुनाहों का देवता
Sumit’s 2024 Year in Books
Take a look at Sumit’s Year in Books, including some fun facts about their reading.
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