गुरुदत्त
Born
in Lahore, India
December 08, 1894
Died
April 08, 1989
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“जब कर्मकाण्ड उद्देश्य-पूर्ति का विचार छोड़कर स्वतः करने योग्य कार्य बन जाता है, तब वह आडम्बर हो जाता है।”
― दिग्विजय [Digvijaya]
― दिग्विजय [Digvijaya]
“कर्म वही है जिससे कर्म के उद्देश्य की पूर्ति हो। उस प्रकार किया गया कर्म ही कर्मकाण्ड हो सकता है।”
― दिग्विजय [Digvijaya]
― दिग्विजय [Digvijaya]