Nikhil Sachan
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Born
in India
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Genre
Member Since
September 2013
Nikhil Sachan hasn't written any blog posts yet.
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UP 65
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नमक स्बादानुसार
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published
2013
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4 editions
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ज़िन्दगी आइस पाइस [Zindagi Aais Pais]
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published
2015
—
3 editions
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PapaMan
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Papaman
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“अच्छा! ठीक तो फिर मैं एक कविता सुनाता हूँ। अगर तुम कविता सुनते हुए हँस दिए तो सात दिन लगातार नहाना पड़ेगा। बोलो मंजूर”, मैंने शरारत से कहा।
“कविता सुन के कौन हँसता है। बंडल-बोर होती है कविता”, वह बोला।
“ठीक है फिर सुनो। बच्चू”, मैंने कहा।
“हल्लम हल्लम हौदा, हाथी चल्लम चल्लम
हम बैठे हाथी पर, हाथी हल्लम हल्लम
लंबी लंबी सूँड़ फटाफट फट्टर फट्टर
लंबे लंबे दाँत खटाखट खट्टर खट्टर
भारी भारी मूँड़ मटकता झम्मम झम्मम
हल्लम हल्लम हौदा, हाथी चल्लम चल्लम
पर्वत जैसी देह थुलथुली थल्लल थल्लल
हालर हालर देह हिले जब हाथी चल्लल।”
― UP 65
“कविता सुन के कौन हँसता है। बंडल-बोर होती है कविता”, वह बोला।
“ठीक है फिर सुनो। बच्चू”, मैंने कहा।
“हल्लम हल्लम हौदा, हाथी चल्लम चल्लम
हम बैठे हाथी पर, हाथी हल्लम हल्लम
लंबी लंबी सूँड़ फटाफट फट्टर फट्टर
लंबे लंबे दाँत खटाखट खट्टर खट्टर
भारी भारी मूँड़ मटकता झम्मम झम्मम
हल्लम हल्लम हौदा, हाथी चल्लम चल्लम
पर्वत जैसी देह थुलथुली थल्लल थल्लल
हालर हालर देह हिले जब हाथी चल्लल।”
― UP 65
“प्रोफेसर के लेक्चर डीकोड करना, मुलायम सिंह यादव के भाषण को डीकोड करने से कहीं अधिक जटिल हो रहा था।”
― UP 65 / यूपी 65 (इसपर आधारित इसी नाम से JioCinema पर एक वेबसीरीज़ रिलीज़ हुई है)
― UP 65 / यूपी 65 (इसपर आधारित इसी नाम से JioCinema पर एक वेबसीरीज़ रिलीज़ हुई है)
“जब मैं तीसरी क्लास में था तब एक दफा माठ सा’ब ने पूछा था, बच्चों तुम बड़े होकर क्या बनना चाहते हो, अधिकतर ने पायलट कहा, कुछ ने एस्ट्रोनॉट तो कुछ ने डॉक्टर। इंजीनियर किसी ने नहीं कहा और फिर भी आज अधिकतर लोग इंजीनियर ही हैं। इस बार जब इंटर्नशिप की छुट्टी पर कानपुर गया था तो माठ सा’ब मिले और बोले, बेटा हम भी मास्टर कहाँ बनना चाहते थे! इसी भटकाव का नाम ही जिंदगी है। जिंदगी में आप जाना कहीं और ही चाहते हैं, लेकिन पहुँच वहीं जाते हैं जहाँ सब जा रहे हैं, जहाँ पहुँचने के लिए सड़क अच्छी हो, रास्ते में जगमग बत्ती-उत्ती लगी हो, साइन बोर्ड लगे हों, हर मील पर मील के पत्थर हों, ताकि पता चलता रहे कि हम कितना चल लिए और कितना चलना बाकी रह गया”, मैंने कहा।”
― UP 65
― UP 65
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| Indian Readers: Contemporary Hindi Literature | 9 | 116 | Dec 07, 2016 12:54AM |




































