Amit Tiwary
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बहुजनवाद स्वतंत्रता, समता और मैत्री का विवेक है, जबकि बहुसंख्यकवाद अभिजनों के वर्चस्व का एक वैचारिक माध्यम। वर्ण और जाति के प्रभुत्व वाले समाज में बहुजन अवधारणा विभिन्न वंचित सामाजिक समूहों की साझी पीड़ाओं और सांस्कृतिक-साहित्यिक
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“जब बात अपनी इज्जत की आती है, तो आदमी कायर हो जाता है.”
― Aisi Waisi Aurat
― Aisi Waisi Aurat
“बनर्जियों के गेट के बगल में एक खंभे की आड़ में छिपकर फुसफुसाते हुए हरबर्ट ने पूछा था - "यदि मैं चिट्ठी दूँ तो लोगी न?"
बुकी ने सिर हिलाकर कहा था - "हाँ!"
...
बुकी के चले जाने के बाद कई महीनों तक हरबर्ट छत पर नहीं गया था। बाद में जरूर गया। हरबर्ट देखता था, शाम होने पर जब छाया छाया-सा अँधेरा होने लगता, एक-एक कर बत्तियाँ जलने लगतीं, चूल्हों का धुआँ नदी की तरह बहने लगता, तब उसके थोड़ी देर बाद वह छत खाली नहीं लगती थी। शायद उस धुंधलके के बीच बुकी खड़ी है, हँस रही है, हाथ हिला रही है। आँखें मलकर देखने से ठीक ऐसा ही लगता है। उस समय आँखें भी तो थोड़ी धुँधली रहती हैं। बाद में वह छत भी छिन गई, जब हालदारों ने उस पर मकान बना लिया। छोटी छत की दीवार पर हरबर्ट ने ईंटें घिसकर 'ब' लिख छोड़ा था। बहुत गहरा था वह। लिखावट पर सीलन पड़कर काई जम जाने के बावजूद हरबर्ट समझ सकता था कि उसके नीचे वह अक्षर सिर हिला-हिलाकर उससे 'हाँ' कह रहा है।”
― Harbart
बुकी ने सिर हिलाकर कहा था - "हाँ!"
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बुकी के चले जाने के बाद कई महीनों तक हरबर्ट छत पर नहीं गया था। बाद में जरूर गया। हरबर्ट देखता था, शाम होने पर जब छाया छाया-सा अँधेरा होने लगता, एक-एक कर बत्तियाँ जलने लगतीं, चूल्हों का धुआँ नदी की तरह बहने लगता, तब उसके थोड़ी देर बाद वह छत खाली नहीं लगती थी। शायद उस धुंधलके के बीच बुकी खड़ी है, हँस रही है, हाथ हिला रही है। आँखें मलकर देखने से ठीक ऐसा ही लगता है। उस समय आँखें भी तो थोड़ी धुँधली रहती हैं। बाद में वह छत भी छिन गई, जब हालदारों ने उस पर मकान बना लिया। छोटी छत की दीवार पर हरबर्ट ने ईंटें घिसकर 'ब' लिख छोड़ा था। बहुत गहरा था वह। लिखावट पर सीलन पड़कर काई जम जाने के बावजूद हरबर्ट समझ सकता था कि उसके नीचे वह अक्षर सिर हिला-हिलाकर उससे 'हाँ' कह रहा है।”
― Harbart
“While a ribbon awaits Usain Bolt at the finishing line, for people like us, there is a concrete wall. When you reach the finishing line, you run straight into that wall.
Everything, your job, your credibility, your life itself, is at stake.”
― The Free Voice: On Democracy, Culture and the Nation
Everything, your job, your credibility, your life itself, is at stake.”
― The Free Voice: On Democracy, Culture and the Nation
“These exhortations to keep safe have made people cowards.”
― The Free Voice: On Democracy, Culture and the Nation
― The Free Voice: On Democracy, Culture and the Nation
“मूर्खताओं की एक परिणति प्रेम और प्रेम की एक परिणति मूर्खता भी है.”
― Chaurasi/चौरासी/84
― Chaurasi/चौरासी/84
Amit’s 2024 Year in Books
Take a look at Amit’s Year in Books, including some fun facts about their reading.
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