ख़्वाब और ख्वाइश

ख़्वाब और ख्वाइश में है फ़र्क क्या,

यही समझने में, मैं उलझता रहा।


झोला उठा जब चल पड़ा,

ख़्वाब साथ हो लिए,

ख्वाइशों ने रास्ता बदल लिया।


– ऋजुता

 •  0 comments  •  flag
Share on Twitter
Published on January 06, 2022 14:25
No comments have been added yet.