ढेर से ख़्वाब, आपस में लड़ रहे
चौराहे पर खड़े, हम सोच में पड़े
इस दिशा मुड़े या उधर को चल चलें।
ख्वाबों की तकरार, तकरीरें बेशुमार
कौन सा ख़्वाब बलि चढ़े और कौन सा जिंदा रहे
चौराहे पर बैठ, हम तमाशबीन बने।
सुना होगा तुमने भी कई बार
जिसका पलड़ा भारी, उसने बाज़ी मारी
जो ख़्वाब जीता, हम उसी के पीछे चल पड़े।
– ऋजुता
Published on January 06, 2022 11:04