कोड ब्लैक पर्ल
‘कोड ब्लैक पर्ल’ स्पाईवर्स के हैशटैग के अंतर्गत लिखी गई पहली किताब है। हैशटैग इंगित करता है उस विशेष श्रेणी को जिसके अंतर्गत यह सीरीज़ लिखी जायेगी। इस सीरीज़ से जुड़ी हर कहानी क्रमानुसार नंबर दिये जायेंगे, ताकि पढ़ने वाले को पहचानने में आसानी रहे कि अमुक किताब, किस श्रेणी, किस सीरीज़ और किस किरदार से सम्बंधित है— क्योंकि स्पाईवर्स में एक किरदार नहीं है, बल्कि एक पूरी टीम है, जिसमें कई सदस्य हैं और इन्हीं में से छःहों मुख्य सदस्यों में से कोई दो सदस्य किसी एक कहानी में हो सकते हैं।
यह टीम जुड़ी है रिसर्च एंड अनैलेसिस विंग की एक एडीशनल डेस्क से, जिसे ‘इंद्रप्रस्थ इंटेलिजेंसिया’ के रूप में पहचाना जाता है— जिसका लक्ष्य डबल ओ सेवन, जेसन बोर्न और ईथन हंट जैसे कैरेक्टर्स को ड्वेलप करना चाहती है। मूलतः यह स्पाई टर्म से सम्बंधित ही केस होते हैं, जिन्हें हैंडल करने का तरीका स्पेशल एजेंट्स जैसा होता है— और इसी घालमेल के चलते इस शृंखला को स्पाईवर्स के अंतर्गत चिन्हित किया गया है। इन सभी एजेंट्स के लिये देश या विदेश की कोई वर्जना नहीं है— बल्कि इनका कार्यक्षेत्र कहीं भी हो सकता है… बस वहां किसी तरह की ऐसी संदिग्ध गतिविधियों की उपस्थिति हो, जिसमें सिविल पुलिस के लिये कुछ न हो— या फिर इन्हें किसी तरह का टास्क दिया गया हो।
रॉ की इस एडीशनल इकाई का यह शुरुआती चरण है और एक तरह से प्रायोगिक भी, जिसकी सफलताओं या असफलताओं पर इसका भविष्य निर्भर है। अभी इस प्रोग्राम के लिये छः मुख्य एजेंट्स का चयन हुआ है, जिनमें तीन लड़के हैं तो तीन लड़कियां। बाकी कुछ सपोर्टिंग स्टाफ़ है। इन सभी मुख्य एजेंट्स को देश-विदेश से कड़े प्रशिक्षणों के सहारे संवारा गया है और भविष्य के लिये तैयार किया गया है— लेकिन इनकी असली परीक्षा तो फील्ड में होनी है, जहां इन्हें व्यावहारिक रूप से ख़ुद को साबित करना है। जहां हर ग़लती काउंट होगी और जहां किसी भी चूक पर जान जाने में देर नहीं लगनी।
इनके हर टास्क को एक कोड नेम दिया जाता है— कभी वह सीधे तौर पर उस मिशन को रिप्रेजेंट कर रहा हो सकता है तो कभी प्रतीक या रूपक की तरह संकेतात्मक शक्ल में… और यही कोड कहानी का टाईटल होता है। इसे बार-बार लिखना न पड़े, इसलिये बताया जाना ज़रूरी है— जैसे प्रस्तुत कहानी जिस टास्क को ले कर है, उस टास्क को नाम दिया गया है कोड ब्लैक पर्ल। यह नाम उस डिवाइस, टेक्नोलॉजी या इनफार्मेशन से सम्बंधित है— जिसका नाम ही पर्ल है और जिसकी चोरी हुई है।
कहानी यह है कि सरकारी तौर पर कोई सीक्रेट प्रोग्राम चलाया जा रहा था, जिसके बारे में सटीक इनफार्मेशन केवल टॉप लेवल के उन लोगों को है— जिन्होंने इसे रन किया है या जो इसे लीड कर रहा है। अब इस प्रोग्राम की कमान संभालने वाला शख़्स रिचर्ड किसिंजर ही एकाएक देश छोड़ कर भाग जाता है, जिसके साथ ही बस इतना पता चलता है कि जिस प्रोग्राम को वह हैंडल कर रहा था, उससे सम्बंधित डेटा, डिवाइस, टेक्नोलॉजी, जो भी था— वह उसके साथ ही चला गया।
अब इंद्रप्रस्थ इंटेलिजेंसिया की टीम से संग्राम थापर और रोज़ीना रेयान को रिचर्ड किसिंजर के पीछे भेजा जाता है। उनका टास्क था किसिंजर को ख़त्म करना और उसके पास डेटा डिवाइस जो भी था— उसे नष्ट करना। किसिंजर तुर्किये होते हुए फिनलैंड भाग जाता है और वहां पहुंच कर एक लोकल वाईट कॉलर माफिया से हाथ मिला लेता है, जिससे जब संग्राम और रोज़ीना वहां पहुंचते हैं तो उन्हें किसिंजर के पीछे एक बड़ी लोकल गैंगवार से जूझना पड़ जाता है… और तब वे उस पूरे केस की हकीक़त जान पाते हैं।
जो दिखाया गया था, वह अधूरा सच था— जो पूरा सच था, उसे देखते उन्हें देशभक्ति की नई परिभाषा सीखने की ज़रूरत महसूस होती है। तब उन्हें यह भी समझ में आता है कि किसिंजर अपनी जगह कितना भी महत्वपूर्ण था, लेकिन असल में वह वैश्विक स्तर पर चलने वाले खेल का एक मामूली पुर्जा भर था… लेकिन वे अब चाहते भी तो पीछे नहीं हट सकते थे। जो टास्क दिया गया था, वह तो उन्हें पूरा करना ही था और इस चक्कर में उन्हें न सिर्फ़ तीन वाईट कॉलर लोकल माफियाओं से भिड़ना पड़ता है— बल्कि अंतिम मोर्चे पर उन्हें पूरे योरप पर पकड़ रखने वाली एक संस्था तक से टकराना पड़ता है।
तो कहानी के रूप में एक एजेंसी है, दो स्पेशल एजेंट्स हैं, एक अपराधी है जो असल में अपराधी है भी नहीं, फिनलैंड है, साउथ यूसीमा के तीन कंबाइंड शहर एस्पू, वंता और हेलसिंकी हैं— उनके ख़ूबसूरत नज़ारे हैं और एक दूसरे से जूझते तीन ऐसे वाईट कॉलर माफिया हैं जो किसिंजर के चलते आपस में ही जंग में उलझ जाते हैं… और वह अपराधिक संस्था है, जो अंत में सारा होल्ड अपने हाथ लेने सामने आती है।
Code Black Pearl
Ashfaq Ahmad
यह टीम जुड़ी है रिसर्च एंड अनैलेसिस विंग की एक एडीशनल डेस्क से, जिसे ‘इंद्रप्रस्थ इंटेलिजेंसिया’ के रूप में पहचाना जाता है— जिसका लक्ष्य डबल ओ सेवन, जेसन बोर्न और ईथन हंट जैसे कैरेक्टर्स को ड्वेलप करना चाहती है। मूलतः यह स्पाई टर्म से सम्बंधित ही केस होते हैं, जिन्हें हैंडल करने का तरीका स्पेशल एजेंट्स जैसा होता है— और इसी घालमेल के चलते इस शृंखला को स्पाईवर्स के अंतर्गत चिन्हित किया गया है। इन सभी एजेंट्स के लिये देश या विदेश की कोई वर्जना नहीं है— बल्कि इनका कार्यक्षेत्र कहीं भी हो सकता है… बस वहां किसी तरह की ऐसी संदिग्ध गतिविधियों की उपस्थिति हो, जिसमें सिविल पुलिस के लिये कुछ न हो— या फिर इन्हें किसी तरह का टास्क दिया गया हो।
रॉ की इस एडीशनल इकाई का यह शुरुआती चरण है और एक तरह से प्रायोगिक भी, जिसकी सफलताओं या असफलताओं पर इसका भविष्य निर्भर है। अभी इस प्रोग्राम के लिये छः मुख्य एजेंट्स का चयन हुआ है, जिनमें तीन लड़के हैं तो तीन लड़कियां। बाकी कुछ सपोर्टिंग स्टाफ़ है। इन सभी मुख्य एजेंट्स को देश-विदेश से कड़े प्रशिक्षणों के सहारे संवारा गया है और भविष्य के लिये तैयार किया गया है— लेकिन इनकी असली परीक्षा तो फील्ड में होनी है, जहां इन्हें व्यावहारिक रूप से ख़ुद को साबित करना है। जहां हर ग़लती काउंट होगी और जहां किसी भी चूक पर जान जाने में देर नहीं लगनी।
इनके हर टास्क को एक कोड नेम दिया जाता है— कभी वह सीधे तौर पर उस मिशन को रिप्रेजेंट कर रहा हो सकता है तो कभी प्रतीक या रूपक की तरह संकेतात्मक शक्ल में… और यही कोड कहानी का टाईटल होता है। इसे बार-बार लिखना न पड़े, इसलिये बताया जाना ज़रूरी है— जैसे प्रस्तुत कहानी जिस टास्क को ले कर है, उस टास्क को नाम दिया गया है कोड ब्लैक पर्ल। यह नाम उस डिवाइस, टेक्नोलॉजी या इनफार्मेशन से सम्बंधित है— जिसका नाम ही पर्ल है और जिसकी चोरी हुई है।
कहानी यह है कि सरकारी तौर पर कोई सीक्रेट प्रोग्राम चलाया जा रहा था, जिसके बारे में सटीक इनफार्मेशन केवल टॉप लेवल के उन लोगों को है— जिन्होंने इसे रन किया है या जो इसे लीड कर रहा है। अब इस प्रोग्राम की कमान संभालने वाला शख़्स रिचर्ड किसिंजर ही एकाएक देश छोड़ कर भाग जाता है, जिसके साथ ही बस इतना पता चलता है कि जिस प्रोग्राम को वह हैंडल कर रहा था, उससे सम्बंधित डेटा, डिवाइस, टेक्नोलॉजी, जो भी था— वह उसके साथ ही चला गया।
अब इंद्रप्रस्थ इंटेलिजेंसिया की टीम से संग्राम थापर और रोज़ीना रेयान को रिचर्ड किसिंजर के पीछे भेजा जाता है। उनका टास्क था किसिंजर को ख़त्म करना और उसके पास डेटा डिवाइस जो भी था— उसे नष्ट करना। किसिंजर तुर्किये होते हुए फिनलैंड भाग जाता है और वहां पहुंच कर एक लोकल वाईट कॉलर माफिया से हाथ मिला लेता है, जिससे जब संग्राम और रोज़ीना वहां पहुंचते हैं तो उन्हें किसिंजर के पीछे एक बड़ी लोकल गैंगवार से जूझना पड़ जाता है… और तब वे उस पूरे केस की हकीक़त जान पाते हैं।
जो दिखाया गया था, वह अधूरा सच था— जो पूरा सच था, उसे देखते उन्हें देशभक्ति की नई परिभाषा सीखने की ज़रूरत महसूस होती है। तब उन्हें यह भी समझ में आता है कि किसिंजर अपनी जगह कितना भी महत्वपूर्ण था, लेकिन असल में वह वैश्विक स्तर पर चलने वाले खेल का एक मामूली पुर्जा भर था… लेकिन वे अब चाहते भी तो पीछे नहीं हट सकते थे। जो टास्क दिया गया था, वह तो उन्हें पूरा करना ही था और इस चक्कर में उन्हें न सिर्फ़ तीन वाईट कॉलर लोकल माफियाओं से भिड़ना पड़ता है— बल्कि अंतिम मोर्चे पर उन्हें पूरे योरप पर पकड़ रखने वाली एक संस्था तक से टकराना पड़ता है।
तो कहानी के रूप में एक एजेंसी है, दो स्पेशल एजेंट्स हैं, एक अपराधी है जो असल में अपराधी है भी नहीं, फिनलैंड है, साउथ यूसीमा के तीन कंबाइंड शहर एस्पू, वंता और हेलसिंकी हैं— उनके ख़ूबसूरत नज़ारे हैं और एक दूसरे से जूझते तीन ऐसे वाईट कॉलर माफिया हैं जो किसिंजर के चलते आपस में ही जंग में उलझ जाते हैं… और वह अपराधिक संस्था है, जो अंत में सारा होल्ड अपने हाथ लेने सामने आती है।
Code Black Pearl
Ashfaq Ahmad
Published on April 29, 2024 06:19
•
Tags:
crime-fiction
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Lafztarash
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