मोह सराहा बत्तीसी का तीस पे बीस चालिस पे शीश और आगे विष खिंचा पानी पे,
जो चौराहा चारसौबीसी का इस पे रईस मालिस पे निरामीष तौर धागे इश पचा रानी पे,
दानी हानी था पहचाना हुआ बेगाना ज़ुल्म करम सा भरम दुघना कलम कैसे,
मानहानी जानी था क़ातिलाना हुआ परवाना जुर्म बलम सा धरम चुगना जनम जैसे,
सनम कार्यक्रम एक घंटा रामायण भी महाभारत चलती गई भारत में विभाजन छेड़ दम का,
परम सेवाश्रम नेक जंटा डायन भी शोहरत मलती गई औरत में निर्वाचन पेड़ बम का,
बारूद कालिक विद्यालय से तीखा कान नाबालिक मालिक ग़म सनसनी पे रियाज़ आप ...
Published on May 23, 2024 07:46