ए डैमसेल इन डिस्ट्रेस

क्राईम फिक्शन के हैशटैग के अंतर्गत यह डेविड फ्रांसिस सीरीज का तीसरा, लेकिन इस सीरीज के क्रम के अनुसार यह दूसरा उपन्यास है, जिसमें डेविड अपने शाहकार बनने की प्रक्रिया से गुज़र रहा है। इस शृंखला में पहला उपन्यास ‘डेढ़ सयानी’ प्रकाशित हुआ था जो क्रमानुसार तब की कहानी है, जब यह किरदार पूरी तरह स्थापित हो चुका था। कायदे से सीरीज में उसका क्रम दसवां आयेगा। डेविड का ‘डेढ़ सयानी’ तक का सफ़र नौ अलग-अलग कहानियों का है, ‘ए डैमसेल इन डिस्ट्रेस’ जिसमें से दूसरे नंबर पर है।

कुछ बातें डेविड के बारे में… यह एक मिश्रित नस्ल का युवक है, जिसके पिता आइसलैंड से थे और माँ महाराष्ट्रियन थीं। बचपन से ही जासूसी कहानियां पढ़ने और जासूसी फिल्में देखने का ऐसा चस्का लगा कि फिर सर पर वैसा ही कैरेक्टर हो जाने का खब्त ही सवार हो गया और इस बात के पीछे उसने बचपन से ही हर तरह का प्रशिक्षण लिया और स्वंय को मानसिक रूप से तैयार किया। कुदरत ने भी उसका साथ दिया और ऐसे ख़तरनाक रास्ते पर चलने के लिये उसे जो आज़ादी चाहिये थी, वह माता-पिता के एक रोड एक्सीडेंट में मारे जाने के बाद मिल गई— और वह जेम्स बाॅण्ड बनने निकल खड़ा हुआ।

अब डेविड फ्रांसिस नाम का यह शख़्स अपने को आज़माने चल पड़ा है, जो हर बंधन से मुक्त है, और पागलपन की हद तक जिसके तीन ही शौक हैं— भ्रमण, लड़की और अपराधियों से पंगे… जिसे दुनिया के हर हिस्से को देखना है, और जिसे वर्स्ट से वर्स्ट लोकेशन में भी प्राकृतिक सौंदर्य ढूंढ लेने की ज़िद रहती है। जो दुनिया की हर रंग, हर नस्ल और हर हिस्से में पाई जाने वाली लड़की को भोग लेने की तमन्ना रखता है— ठरकी है, मगर किसी को भी प्यार से जीतना पसंद करता है। हर कहीं दूसरों के फटे में टांग अड़ाना और अपराधियों की ओखली ढूंढ कर अपना सर दे देने की सनक ख़तरनाक स्तर तक सवार रहती है।

इसके व्यक्तित्व का एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि इसने अपने मन में ही अपने एक प्रतिरूप को स्थापित कर रखा है, जिसे यह ‘अंदर वाले डेविड’ या ‘मिनी मी’ कह कर सम्बोधित करता है और न सिर्फ़ उससे विचार-विमर्श करता रहता है, बल्कि जो वह सीधे नहीं हो पाता— वह मिनी मी के रूप में हो जाना चाहता है और अपनी हर फीलिंग को उसके मुंह से हर तरह के शब्दों में बयान कर लेता है। दोनों में अक्सर नोक-झोंक भी होती है। एक तरह से यह मेंटल डिसऑर्डर लग सकता है, लेकिन डेविड के लिये यह संबल का एक कारक है।

अब बात इस कहानी की— डेविड की कहानी बिना लड़की के नहीं पनपती, न फलती-फूलती है। तो डेविड की कहानी में लड़की भी होनी है और उसका संकट में फंसना भी तय होता है। डेविड को असल किक इसी बात से मिलती है और यहीं से वह कहानी पनपती है, जो जेम्स, शरलाॅक, नीरो, सैक्सटन के मिश्रण से बने डेविड फ्रांसिस की क्षमताओं का सख़्त इम्तिहान लेती है।

प्रस्तुत कहानी में यह डैमसेल जूही नाम की एक लड़की है, जो एक रहस्य की तरह उससे मिलती है और फिर उसकी आँखों के सामने ही जूही को अगवा कर लिया जाता है। जिसके बाद जब वह अपनी खोजबीन शुरू करता है, तो इस डिस्ट्रेस से जुड़े राज़ धीरे-धीरे सामने आते हैं और पता चलता है कि वह एक ऐसे नेटवर्क का शिकार हुई थी, जो न सिर्फ ड्रग ट्रैफिकिंग से जुड़ा था, बल्कि जिसकी संलिप्तता टेररिज्म में भी थी।

अब सवाल यह था कि किसने उठाया था जूही को? क्या हासिल करना चाहता था वह उसकी किडनैपिंग से? डेविड अपनी जान पर खेलते, बार-बार ख़तरे में पड़ते इस घटना की तह तक तो पहुंचता है लेकिन क्या वह जूही को सुरक्षित निकाल भी पाता है? इन सवालों के जवाब जानने के लिये पढ़िये… ए डैमसेल इन डिस्ट्रेस!

A Damsel In DistressAshfaq Ahmad
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Published on July 24, 2024 18:42 Tags: crime-fiction
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Ashfaq  Ahmad
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