द अफ़ग़ान हाउंड

क्राईम फिक्शन के नाम पर मेरे द्वारा इस समय दो शृंखलाएं लिखी जा रही हैं, जिन्हें पहचान के लिये 'क्राईम फिक्शन' और 'स्पाईवर्स' के रूप में दो अलग-अलग हैशटैग के साथ चिन्हित किया गया है। क्राईम फिक्शन डेविड फ्रांसिस के रूप में एक अकेले किरदार से सम्बंधित शृंखला है— जो एक खास तरह के मनोविज्ञान की उपज है। वह यायावर है, जो दुनिया के चप्पे-चप्पे को देख लेना चाहता है। वह ठरकी है जो दुनिया की हर नस्ल और हर रंग की लड़की को भोग लेना चाहता है… और वह सनकी है, जो दुनिया के हर अपराधी को उसके अंजाम तक पहुंचा देना चाहता है।

लेकिन उसका तरीका थोड़ा अनोखा है… वह अपनी पसंद की किसी जगह पहुंच कर, वहां कोई ऐसी हसीना ढूंढता है जो मुसीबत की मारी हो और उसे मुसीबत से निकालने में लग जाता है, जो अक्सर उसके लिये ही मुसीबत का कारण बन जाती है— इस सिलसिले में जो कहानी जन्मती है, वह ‘क्राईम फिक्शन’ हैशटैग के अंतर्गत प्रकाशित होती है। यह किरदार अभी ढलने की प्रक्रिया में है और इस प्रक्रिया के तहत इसकी पहली कहानी ‘काया पलट’ के रूप में प्रकाशित हुई है— जिसके बाद ‘ए डैमसेल इन डिस्ट्रेस’ और ‘डार्क साइड’ भी प्रकाशित हो चुकी हैं।

क्राईम फिक्शन के अंतर्गत जो दूसरी शृंखला है, वह ‘स्पाईवर्स’ के हैशटैग के साथ प्रकाशित होती है— जिसमें ‘कोड ब्लैक पर्ल’ पहला, ‘मिशन ओसावा’ दूसरा और ‘द अफ़ग़ान हाउंड’ तीसरा उपन्यास था। जहां डेविड सीरीज केवल एक किरदार पर आधारित है, वहीं स्पाईवर्स की कहानियां एक ऐसी एजेंसी पर आधारित हैं— जिसे ‘राॅ’ की एडीशनल डेस्क के रूप में परिभाषित किया गया है और जो बेसिकली विदेश विभाग से जुड़े मसलों में अपने स्पेशल एजेंट्स के साथ परफार्म करने के लिये डिजाइन की गई है, लेकिन तार किसी बाहरी साजिश से जुड़े हों और ज़मीन देश की ही इस्तेमाल की जा रही हो, तो भी वे डील कर सकते हैं।

इस एजेंसी में मुख्यतः आरव, निहाल और संग्राम के रूप में तीन मेल एजेंट्स तो रूबी, सबीना और रोजीना के रूप में तीन फीमेल एजेंट्स हैं— जिनके अपने मिज़ाज हैं और काम करने के अपने तरीके… इन्हें अलग-अलग मिशन दिये जाते हैं जहां इन्हें फिलहाल एक जोड़े के रूप में परफार्म करना होता है— जिसमें इन्हें ग्रेड बी के कुछ एजेंट्स से भी मदद मिलती है। स्पाइवर्स के अंतर्गत पहली कहानी ‘कोड ब्लैक पर्ल’ संग्राम सीरीज का इंट्रोडक्टरी उपन्यास था, तो इसी तरह ‘मिशन ओसावा’ एजेंसी के दूसरे एजेंट आरव आकाश का पहला और इंट्रोडक्टरी उपन्यास था। इसी तर्ज़ पर ‘द अफ़ग़ान हाउंड’ एजेंसी के तीसरे मेन एजेंट निहाल सिंह की पहली कहानी है।

‘कोड ब्लैक पर्ल’ फिनलैंड में किये एक मिशन की कहानी थी तो ‘मिशन ओसावा’ कश्मीर से सम्बंधित ऐसी कहानी जिसमें विदेशी शक्तियों का जुड़ाव था— जबकि स्पाईवर्स की यह तीसरी कहानी अफ़गानिस्तान से सम्बंधित है, जो एक अरसे से विदेशी शक्तियों का अखाड़ा बना रहा है। प्रस्तुत कहानी में एक ऐसी अंतर्राष्ट्रीय क्रिमिनल ऑर्गेनाइजेशन का भी समावेश है, जिसके फलसफे अलग हैं, जिसके लक्ष्य अलग हैं और जिसके तरीके भी सबसे अलग हैं— जो बतौर आर्गेनाइजेशन भी किसी विकसित देश जितनी पाॅवर रखती है।

अपने किन्हीं दूरगामी लक्ष्यों के लिये उस अपराधिक संस्था ने पूर्वी अफ़गानिस्तान के एक सरहदी इलाके को फुटबाल ग्राउंड बना रखा है और अफ़ग़ानिस्तान की मौजूदा सरकार उस खेल को रोकना तो दूर, उसे समझने में भी असमर्थ है। जिससे निपटने के लिये वे आईएसआई से ले कर राॅ तक की मदद लेना मंज़ूर करते हैं और इस मदद के नाम पर वह मिशन अमल में आता है जहां से स्पाईवर्स में निहाल का प्रवेश होता है। क्या वह उन हादसों का मुअम्मा हल कर पायेगा, जिन्होंने अफ़गान हुकूमत को हिला रखा है? क्या वह उस संस्था के खेल को सबके सामने ला पायेगा— ला पायेगा तो कैसे? जानने के लिये पढ़िये… द अफ़ग़ान हाउंड!

The Afghan Hound
Ashfaq Ahmad
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Published on October 18, 2024 21:49 Tags: crime-fiction
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Ashfaq  Ahmad
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