औरतें

अक्सर औरतों के बोलने या बात करने को हमारे समाज में व्यंगात्मक और हास्य जनक तरीके से दिखाया जाता है।एक प्रसिद्ध चुटकुला है- एक बार दो औरतें चुपचाप बैठी थी। और बस यह लाइन बोलते ही अक्सर सभी लोग ठहाका लगाकर हंसने लगते हैं।यह वही लोग हैं, जिनके घर में औरतें ‘ चू ‘ तक नहीं करती।यह वही पति हैं जिनकी mrs जब बैठक में बैठे मर्दों के बीच चल रही किसी गहन चर्चा में अपनी राय देने लगे तो यह तपाक से उनकी बात काट कर बोलते हैं ‘ तुम यहां क्या कर रही हो? मर्दों के बीच बोलने का तुम्हारा क्या मतलब?’और यह मर्द सिर्फ आपके घर की ही बड़े बुजुर्ग नहीं, यह मर्द औरत को हर जगह मिलते हैं।यह वो कारपेंटर हो सकता है, या वो मिस्त्री,जो जब आपके घर कोई काम करने आता है, तो आपकी बात को अनसुना कर, ऐसे भैया या बाबूजी के लिए पूछता है जैसे आपको अपने ही सोफे जब सीलन से भीगी दीवार के बारे में कुछ नहीं पता।और आपसे बोलता भी है तो क्या, बस चाय या पानी की गुहार।यह वही मर्द है और उनकी सोच इतनी ही छोटी,इन्हें इस तरह की चुटकुलों पर इसीलिए हंसी आती है क्योंकि इंका मनाना है की दो औरतें खामोश नहीं बैठ सकतीं क्योंकि उन्हें खाने की रेसिपी और मोहल्ले की चुगलियां भी तो discuss करनी है और यह बड़े फक्र से इस चुटकुले को सुनते हैं।

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Published on May 03, 2025 23:02
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