मां-बाप कहीं जाते नहीं
मां-बाप, नानी दादी घर वो बुजुर्ग कहीं नहीं जाते।हमें ऐसा लगता है कि वे चले गए… पर वह यही होते है।
कभी आपके नैन-नक्श में झलकते हैं,तो कभी आपके चलने के अंदाज़ में नजर आते हैं।कभी सोचा है आप बैठे-बैठे पैर क्यों हिलाते हैं?
वह हैं हमारी आदतों में है-मेरा खाना ना waste करने की सनक,वो कभी बचा खाना फेंक देने पर मन में अचानक आया अपराध बोध।( यहां तक की मेरे खाने के बाद उस chips के बचे packet को पुड़िया बनाकर रखने के अंदाज में भी मेरी अम्मा है)
हमारे मां बाप दादी नानी और घर के बुजुर्ग यह कहीं नहीं जाते, यहीं रहते हैं सदियों सदियों के लिए
कभी वो बरसों बाद कहीं आपके बेटे की बेटी की मुस्कान में छलक आते हैं।
तो कभी आपको चौंका देते हैं— आपकी ही कहीं किसी बात जो भले ही कही तो अपने है पर शब्द उनके हैं।
वो उन किस्से कहानियों में हैं, जो आपको याद भी नहीं थी कि आपको याद हैं
वह आपको दिए गए उस प्यारे nick name में है, जिससे अब आगे आने वाली पीढ़ियां आपको पुकारेंगी।
और ढूंढा जाए तो वह स्टोर रूम में पड़ी उन धुंधली तस्वीरों में है, कुछ गुम हो चुकी की तारीखों में है। वो आपके अन्दर की आग में है वो आपके हर जज्बात में हैं।
पर सबसे ज्यादा वह नजर आते हैं आपको दिए गए संस्कारों में।
इसलिए वो उस हिचक में हैं जो आप झूठ बोलते वक्त महसूस करते हैं। वो उस डर में हैं, उस नैतिकता की समझ में हैं—जो कुछ गलत करते वक्त एकाएक आपके कदम रोक देती है।
मां बाप हर उसे सीख में हैं, वो हर उसे डांट में है,मां बाप ही तो हमारी हर बात में है,और उनके दिए संस्कारों के रूप में वो हर वक्त हमारे साथ में है।
संस्कारों से बड़ी कोई धरोहर हो ही नहीं सकती जो हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए छोड़ कर जाएं।
देखा जाए तो हमारे मां बाप हमारे बुजुर्ग और उनके दिए हुए संस्कार—ये एक बहुत लंबी, बहुत पुरानी लड़ी है, पीढ़ी दर पीढ़ी जो चली है और जिसकी आप और मै तो बस एक कड़ी हैं।-
इसलिए मां बाप कभी कहीं जाते नहीं।वो आपके पहले भी थे, और आपके बाद भी रहेंगे— और झलकते रहेंगे इन्हीं संस्कारों में।


