मैं रोज ऊंची डिगां मारकेतेरा गुणगान गाया करतो
थारै भोळ स चेहरे माथै
भरोसे री टेर लगाया करतो
पण मनै ठा कोनी हो कै
समय अर घड़ी ऄड़ी आगी
होळै होळै थूं बदळबा लागगी!
तनै राजी राखण खातर मैं
झूटी बातां रा हुंकारा भरतो
थूं जठै ऄकली चाल पड़ती
बठै मेर थारै बिन्या न सरतो
पण हिड़दै रै बिस्वास नै थूं
अब कुचर कुचर ही खायगी
होळै होळै थूं बदळबा लागगी
©पवनकुमार राजपुरोहित
Published on February 12, 2024 09:09