Sandhya Singh

Add friend
Sign in to Goodreads to learn more about Sandhya.


War of Lanka
Sandhya Singh is currently reading
by Amish Tripathi (Goodreads Author)
bookshelves: currently-reading
Rate this book
Clear rating

 
Loading...
Ramdhari Singh 'Dinkar'
“दो न्याय अगर तो आधा दो,

पर, इसमें भी यदि बाधा हो,
तो दे दो केवल पाँच ग्राम,

रक्खो अपनी धरती तमाम।
हम वहीं खुशी से खायेंगे,

परिजन पर असि न उठायेंगे!


दुर्योधन वह भी दे ना सका,

आशिष समाज की ले न सका,
उलटे, हरि को बाँधने चला,

जो था असाध्य, साधने चला।
जन नाश मनुज पर छाता है,

पहले विवेक मर जाता है।


हरि ने भीषण हुंकार किया,

अपना स्वरूप-विस्तार किया,
डगमग-डगमग दिग्गज डोले,

भगवान् कुपित होकर बोले-
'जंजीर बढ़ा कर साध मुझे,

हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे।


यह देख, गगन मुझमें लय है,

यह देख, पवन मुझमें लय है,
मुझमें विलीन झंकार सकल,

मुझमें लय है संसार सकल।
अमरत्व फूलता है मुझमें,

संहार झूलता है मुझमें।”
Ramdhari Singh Dinkar, रश्मिरथी

Ramdhari Singh 'Dinkar'
“वसुधा का नेता कौन हुआ?
भूखंड-विजेता कौन हुआ?
अतुलित यश-क्रेता कौन हुआ?
नव-धर्म-प्रणेता कौन हुआ?
जिसने न कभी आराम किया,
विघ्नों में रहकर नाम किया”
Ramdhari Singh Dinkar, रश्मिरथी

Ramdhari Singh 'Dinkar'
“प्रासादों के कनकाभ शिखर,
होते कबूतरों के ही घर,
महलों में गरुड़ ना होता है,
कंचन पर कभी न सोता है.
रहता वह कहीं पहाड़ों में,
शैलों की फटी दरारों में.

होकर सुख-समृद्धि के अधीन,
मानव होता निज तप क्षीण,
सत्ता किरीट मणिमय आसन,
करते मनुष्य का तेज हरण.
नर वैभव हेतु लालचाता है,
पर वही मनुज को खाता है.

चाँदनी पुष्प-छाया मे पल,
नर भले बने सुमधुर कोमल,
पर अमृत क्लेश का पिए बिना,
आताप अंधड़ में जिए बिना,
वह पुरुष नही कहला सकता,
विघ्नों को नही हिला सकता.

उड़ते जो झंझावतों में,
पीते जो वारि प्रपातो में,
सारा आकाश अयन जिनका,
विषधर भुजंग भोजन जिनका,
वे ही फानिबंध छुड़ाते हैं,
धरती का हृदय जुड़ाते हैं.”
Ramdhari Singh Dinkar, रश्मिरथी

year in books

Sandhya hasn't connected with their friends on Goodreads, yet.


That Time I Got Reincarnated as a Slime (Light Novel), Vol. 1 by FuseRe by Tappei Nagatsuki
Pretty good light novels
106 books — 51 voters




Polls voted on by Sandhya

Lists liked by Sandhya