नदी के द्वीप Quotes
नदी के द्वीप
by
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय'301 ratings, 4.43 average rating, 37 reviews
नदी के द्वीप Quotes
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“सत्य अपने अन्तर की पीड़ा से जाना जाता है।”
― Nadi Ke Dweep
― Nadi Ke Dweep
“संकट में हम हार जाएँगे, मैं नहीं मानती, और मुझे लगता है कि यह न मानना भी स्वयं एक मोर्चा है क्योंकि मानव-नियति में विश्वास खोना मानव की प्रतिष्ठा की लड़ाई हार जाना है…”
― Nadi Ke Dweep
― Nadi Ke Dweep
“कला यानी पोस्टर, संगीत यानी फ़ौजी बैंड…और साहित्य यानी पैम्फ़लेट, परचे, अख़बारनवीसी, रिपोर्टाज का नया माध्यम जो न पूरा तथ्य है न पूरी कल्पना,”
― Nadi Ke Dweep
― Nadi Ke Dweep
“जिसे हम संस्कृति कहते हैं वह एक सड़ा हुआ चौखटा है। और उसमें जो जीव बन्द है, वह जीव इसी लिए है, कि वह पशु है; अगर पशु न हो कर तथाकथित संस्कृत मानव होता तो वह भी मर गया होता—जैसे कि सर्वत्र संस्कृत मानव मर गया है।”
― Nadi Ke Dweep
― Nadi Ke Dweep
“हमें केवल युद्ध नहीं जीतना है, हमें शान्ति भी नहीं जीतनी है, हमें संस्कृति जीतनी है, विज्ञान जीतना है, नीति जीतनी है, हमें मानव की स्वाधीनता और प्रतिष्ठा जीतनी है।”
― Nadi Ke Dweep
― Nadi Ke Dweep
“इस अम्बार के नीचे मानव की आत्मा कुचली जाती है, उसकी नैतिकता भी कुचली जाती है, वह एक सुविधावादी पशु हो जाता है…”
― Nadi Ke Dweep
― Nadi Ke Dweep
“नीति से अलग विज्ञान बिना सवार का घोड़ा है, बिना चालक का इंजिन : वह विनाश ही कर सकता है।”
― Nadi Ke Dweep
― Nadi Ke Dweep
“औद्योगिक क्रान्ति के साथ वह सुविधा का गुलाम बन कर एक के बाद एक विभ्राट् उत्पन्न करता चले?”
― Nadi Ke Dweep
― Nadi Ke Dweep
“वैज्ञानिक सब नीतिज्ञ नहीं तो नैतिक अवश्य थे, और यहाँ तक विज्ञान का रेकार्ड वैज्ञानिकों के लिए गौरव का विषय है।”
― Nadi Ke Dweep
― Nadi Ke Dweep
“पुराने ज़माने में जब वैज्ञानिक और नीतिज्ञ एक ही था, तब विज्ञान नीति को पुष्ट करता था;”
― Nadi Ke Dweep
― Nadi Ke Dweep
“विश्व-संकट यह भी है कि साधना आज इतनी नगण्य हो गई है; कि हमारा साध्य जीवन का आनन्द न रह कर जीवन की सुविधाएँ रह गया है यानी जीवन की हमारी परिभाषा ही बदल गई है, वह जीवन का नहीं, जीवन की क्रियाओं का नाम हो गया है।”
― Nadi Ke Dweep
― Nadi Ke Dweep
“कलाकार कैसे देश-काल के बन्धन से मुक्त हो जाता है : कोई भी लगन, कोई भी गहरी साधना व्यक्ति को इन बन्धनों से परे ले जाती है। देह का अपना धर्म है; उससे तो मुक्ति नहीं मिलती; पर आत्मा या आत्मा की बात न करें क्योंकि उसके साथ तो अजर-अमर होने की प्रतिज्ञा ही है—मन भी जरामुक्त, चिरयुवा रह जाता है : एक दिन साधक सहसा पाता है कि अरे, यह देह तो बूढ़ी हो गई जब कि भीतर का जीव ज्यों का त्यों है, बल्कि अधिक स्फूर्तियुक्त, अधिक समर्थ…तब अगर वह मन को देह पर छोड़ देता है तभी मन भी जरा का अनुगत हो जाता है, नहीं तो अन्त तक—देह के विघटन-विलयन तक—भी वह वैसा ही अछूता चला जाएगा,”
― Nadi Ke Dweep
― Nadi Ke Dweep
“तुम्हें जो राह दीखती है, उस पर चलो, गौरा। धैर्य के साथ, साहस के साथ। और हाँ, जो तुमसे सहमत नहीं हैं उनके प्रति उदारता के साथ, जो बाधक हैं उनके प्रति करुणा के साथ। और राह पर जब ऐसा साथी मिलेगा जिस का साथ तुम्हें प्रीतिकर, वांछनीय, कल्याणप्रद लगे, तब किसी की बात न सुनना, जान लेना कि अब स्वतंत्र रूप से जोखम वरने का समय आ गया।”
― Nadi Ke Dweep
― Nadi Ke Dweep
“और गार्हस्थ्य एक लम्बी यात्रा है—बल्कि पथ-यात्रा नहीं, सागर-यात्रा, जिस में मोड़-चौराहे पर नहीं, क्षण-क्षण पर संकल्प-पूर्वक जोखम का वरण करना होता है और कोई लीकें आँकी हुई नहीं मिलतीं, नक़्शे और कम्पास और अन्ततोगत्वा अपनी बुद्धि और अपने साहस के सहारे चलना होता है।”
― Nadi Ke Dweep
― Nadi Ke Dweep
“जब तक कोई स्पष्टतया मनोवैज्ञानिक ‘केस’ न हो विवाह सहज धर्म है और है व्यक्ति की प्रगति और उत्तम अभिव्यक्ति की एक स्वाभाविक सीढ़ी।”
― Nadi Ke Dweep
― Nadi Ke Dweep
“मेरा वश होता, और भविष्य बने-बनाए मिलते, तो मैं आपको एक ऐसा सुन्दर भविष्य ला देती कि बस। उसके चार पाये चार इन्द्रधनुष होते, और फूलों पर पड़ी हुई चाँदनी उसके ऊपर होती, तितलियों के पंखों से रंग लेकर उसे रँगा जाता”
― Nadi Ke Dweep
― Nadi Ke Dweep
“वह सिवाय तीखी उत्तेजना के कुछ समझता ही नहीं, लिहाजा चन्द्रमाधव भी एक तरह का नशेबाज है और जीवन की महत्त्वपूर्ण चीज़ों को नहीं पहचान सकता।”
― Nadi Ke Dweep
― Nadi Ke Dweep
“एक क्रिया के पूरी होने के बाद दूसरी क्रिया के आरम्भ होने से पहले होती है—संकल्प-शक्ति की उस जड़ अन्तरावस्था में।”
― Nadi Ke Dweep
― Nadi Ke Dweep
“असल में जहाँ मैं आ पहुँची हूँ, उसका कोई एक कारण नहीं है—मेरा सारा जीवन ही कारण है। और यह कहने से कुछ बात नहीं बनती—क्योंकि ‘जीवन का सारा जीवन ही कारण है”
― Nadi Ke Dweep
― Nadi Ke Dweep
“चलती गाड़ी में मुझ-से व्यक्ति को एक स्वच्छन्दता का बोध होता है”
― Nadi Ke Dweep
― Nadi Ke Dweep
“रेल का सफ़र शायद इस तरह के आत्म-प्रकाशन को सहज बनाता है—चलती गाड़ी में हम अजनबी को भी बहुत-सी ऐसी निजी बातें कह देते हैं जो अपने ठिकाने पर घनिष्ट मित्रों से भी न कहें।”
― Nadi Ke Dweep
― Nadi Ke Dweep
“मन की यह भी एक शक्ति है कि ज़रा से भी साम्य के सहारे वह सहज ही सम्पूर्ण लयकारी सम्बन्ध जोड़ लेता है।”
― Nadi Ke Dweep
― Nadi Ke Dweep
