वो लड़की भोली भाली सी & वो लड़की सयानी सी
वो लड़की भोली भाली सी
"वो लड़की भोली भाली सी" नाम सुन कर रोमांटिक कहानी लगती है, लेकिन ऐसा है नहीं... यह कहानी यूं तो थ्रिल, रोमांच और सस्पेंस से भरी है, लेकिन चूंकि पूरी कहानी एक ऐसी लड़की पर है जिसकी जिंदगी कहानी के दौरान एक सौ अस्सी डिग्री चेंज होती है, तो बस उसी बदलाव को इंगित करते हुए शीर्षक दिया गया है— वो लड़की भोली भाली सी। शुरुआत तो उसके भोलेपन और उसके शोषण से ही होती है लेकिन फिर मज़बूत होने के साथ वह बदलती चली जाती है।
अब कहानी चूंकि थोड़ी कांपलीकेटेड है तो शुरु करने से पहले सभी पाठकों के लिये कुछ बातों पर गौर करना जरूरी है, जिससे आपको सभी सिरों को समझने में मदद मिलेगी।
सबसे पहली और मुख्य चीज़ यह है कि यह कहानी वेब सीरीज के परपज से लिखी गई है, तो इसके दृश्यों की सिक्वेंस भी उसी तरह से रखी गई है... हालांकि लिखने में नॉवल का फार्मेट ही इस्तेमाल किया गया है न कि स्क्रीनप्ले का, लेकिन फिर भी आपके लिये यह जानना ज़रूरी है कि कहानी कहने का तरीका क्या है, इसी से आप अलग-अलग टाईमलाईन में चलते दृश्यों को ठीक से समझ पायेंगे।
मूलतः कहानी तीन अलग-अलग टाईमलाईन में चलती है जिसमें दो हिस्से एकदम अनकनेक्टेड लग सकते हैं लेकिन ऐसा है नहीं और कहानी के अलग-अलग सभी सिरे कहीं न कहीं एक दूसरे से जुड़े हुए ही हैं। हर टाईमलाईन के साथ तारीख मेंशन की गई है, जिस पर पढ़ते वक़्त आपको खास ध्यान रखना है, अन्यथा आप बुरी तरह कनफ्यूज्ड हो जायेंगे।
अगर कहानी के मुख्य पात्रों की बात की जाये तो कहानी के केंद्र में एक फीमेल पात्र है, जिसके कई रूप हैं और कई नाम हैं, एक से ज्यादा शेड है। विकास अहलावत नाम का एक पुलिस इंस्पेक्टर है, जिसकी अपनी जिंदगी बीवी और उसके आशिक के बीच बुरी तरह उलझी हुई है, लेकिन प्रोफेशनली उसे एक ऐसे मर्डर केस को सॉल्व करना है— जिसमें बंद घर में मकतूल के आसपास मौजूद पाये गये लोगों में कोई भी अपराधी नहीं साबित होता और न उनसे हत्यारे तक पहुंचने में कोई मदद ही मिलती है।
एक क्राईम वर्ल्ड से रिलेटेड शख़्स संदीप चौरसिया है जिसके अतीत में बड़े पेंच हैं। आतिफ, अनिर्बान, सुनील और माधुरी नाम के किरायेदार हैं, और सलीम, दयाल और माया नाम के मेहमान— जिनकी मौजूदगी मगर बेखबरी में मकान मालकिन की हत्या हुई। एक तरफ़ कहानी वर्तमान से अतीत की तरफ़ जाती है, तो दूसरी तरफ़ अतीत से वर्तमान की तरफ़ आती है और इन दोनों ही टाईमलाईन में आगे-पीछे होते हुए ऐसे ही ढेरों कैरेक्टर्स अवतरित होते रहते हैं।
चूंकि कहानी वेब सीरीज के परपज से शुद्ध मनोरंजन के लिये लिखी गई है तो इसके किरदार रियलिस्टिक वर्ल्ड से जैसे के तैसे लिये गये हैं, उनसे बहुत ज्यादा नैतिकता की अपेक्षा न रखियेगा, वे देवता तुल्य नायक या देवी तुल्य नायिका की बाउंड्री से बाहर हैं और ज्यादातर किरदार ग्रे शेड के हैं। दूसरे, कहानी में कोई मैसेज नहीं है कि उसके नाम पर इसे जस्टीफाई किया जाये। बस मनोरंजन परोसने के नजरिये से लिखी गई कहानी है— तो इसे इसी उद्देश्य तक सीमित समझिये।
कहानी दो लाख से ऊपर वर्ड्स की है, इसे एक भाग में समेटना ठीक नहीं था, तो इसके दो पार्ट्स कर दिये हैं और कहानी का दूसरा पार्ट 'वो लड़की सयानी सी' भी इसी कहानी के साथ पब्लिश की गई है, ताकि पाठक को इंतज़ार न करना पड़े और वह एक साथ पूरी कहानी का आनंद ले सके।
वो लड़की सयानी सी
यह कहानी उस सिलसिले को आगे बढ़ाती है जो 'वो लड़की भोली भाली सी' से शुरु हुआ था और अपने अंजाम तक पहुंचती है। सुहाना या संदीप के अतीत में जो कुछ भी हुआ था, वह धीरे-धीरे विकास की इन्क्वायरी के ज़रिये सामने आता रहता है। उन दोनों की ज़िंदगी में ढेरों पेंच थे, ढेरों उलझनें थीं और उनमें सबा को उन सबसे डील करते हुए, एक सरकारी मिशन के तहत अपनी एक जगह बनानी थी— और जिसके लिये वह हर स्तर तक जाती है।
पिछले भाग में जहां कहानी तीन अलग टाईमलाईन में चली थी, वहीं इस भाग में कहानी दो अलग टाईमलाईन में चलती है और जहां सबा के सफ़र के साथ अतीत का एक कालखंड सामने आता रहता है, जहां वह शोषण से भरे बचपन से उबरते हुए एक ताक़तवर संगठन में घुसपैठ करती है और धीरे-धीरे शीर्ष तक पहुंचती है, जहां पहुंच कर उसे फिर एक मौका मिलता है, एक नये अवतार को ग्रहण करने का… वहीं वर्तमान में विकास की खोजबीन के साथ उस अतीत के उलझे हुए सिरे धीरे-धीरे खुलते रहते हैं और एक बिखरी-बिखरी सी कहानी परिपूर्णता लेते हुए सामने आती है।
उस गुमशुदा अतीत में कुछ ऐसा था, जिसने गोवा को अपने मज़बूत पंजों में जकड़े बादेस से मुक्ति तो दिला दी थी, लेकिन अपना वक़्त लेकर, संभलने के बाद वह फिर से खड़े होने की कोशिश करती है और उसके बचे हुए बागी सिपहसालारों को फिर उसके झंडे के नीचे आना पड़ता है। उसी गुमशुदा अतीत में एक बहुत बड़ी रकम भी गुम हुई थी, जिसका कोई पता ठिकाना नहीं था और अब जैसे वह सारे लोग उसी की तलाश में थे— जो उसके बारे में जानते थे। वे उस रकम के लिये किसी भी हद से गुज़रने को तैयार थे।
जो गोवा में होता है, वही अंतिम मोड़ पर दिल्ली में होता है और अतीत में आपस में असम्बंधित रहे विकास, टोनी, बब्बू, माया और आरज़ू सब एक दूसरे के सामने प्रतिद्वंदी के तौर पर आ खड़े होते हैं— जहां ख़ुद सर्वाईव करने के लिये दूसरे को खत्म करना ज़रूरी हो जाता है। अब सवाल यह था कि उस अंतिम दौर में कौन मरता है और कौन बचता है?
Wo Ladki Bholi Bhali Si
Wo Ladki Sayani Si (Wo Ladki Bholi Bhali Si Book 2)
Ashfaq Ahmad
"वो लड़की भोली भाली सी" नाम सुन कर रोमांटिक कहानी लगती है, लेकिन ऐसा है नहीं... यह कहानी यूं तो थ्रिल, रोमांच और सस्पेंस से भरी है, लेकिन चूंकि पूरी कहानी एक ऐसी लड़की पर है जिसकी जिंदगी कहानी के दौरान एक सौ अस्सी डिग्री चेंज होती है, तो बस उसी बदलाव को इंगित करते हुए शीर्षक दिया गया है— वो लड़की भोली भाली सी। शुरुआत तो उसके भोलेपन और उसके शोषण से ही होती है लेकिन फिर मज़बूत होने के साथ वह बदलती चली जाती है।
अब कहानी चूंकि थोड़ी कांपलीकेटेड है तो शुरु करने से पहले सभी पाठकों के लिये कुछ बातों पर गौर करना जरूरी है, जिससे आपको सभी सिरों को समझने में मदद मिलेगी।
सबसे पहली और मुख्य चीज़ यह है कि यह कहानी वेब सीरीज के परपज से लिखी गई है, तो इसके दृश्यों की सिक्वेंस भी उसी तरह से रखी गई है... हालांकि लिखने में नॉवल का फार्मेट ही इस्तेमाल किया गया है न कि स्क्रीनप्ले का, लेकिन फिर भी आपके लिये यह जानना ज़रूरी है कि कहानी कहने का तरीका क्या है, इसी से आप अलग-अलग टाईमलाईन में चलते दृश्यों को ठीक से समझ पायेंगे।
मूलतः कहानी तीन अलग-अलग टाईमलाईन में चलती है जिसमें दो हिस्से एकदम अनकनेक्टेड लग सकते हैं लेकिन ऐसा है नहीं और कहानी के अलग-अलग सभी सिरे कहीं न कहीं एक दूसरे से जुड़े हुए ही हैं। हर टाईमलाईन के साथ तारीख मेंशन की गई है, जिस पर पढ़ते वक़्त आपको खास ध्यान रखना है, अन्यथा आप बुरी तरह कनफ्यूज्ड हो जायेंगे।
अगर कहानी के मुख्य पात्रों की बात की जाये तो कहानी के केंद्र में एक फीमेल पात्र है, जिसके कई रूप हैं और कई नाम हैं, एक से ज्यादा शेड है। विकास अहलावत नाम का एक पुलिस इंस्पेक्टर है, जिसकी अपनी जिंदगी बीवी और उसके आशिक के बीच बुरी तरह उलझी हुई है, लेकिन प्रोफेशनली उसे एक ऐसे मर्डर केस को सॉल्व करना है— जिसमें बंद घर में मकतूल के आसपास मौजूद पाये गये लोगों में कोई भी अपराधी नहीं साबित होता और न उनसे हत्यारे तक पहुंचने में कोई मदद ही मिलती है।
एक क्राईम वर्ल्ड से रिलेटेड शख़्स संदीप चौरसिया है जिसके अतीत में बड़े पेंच हैं। आतिफ, अनिर्बान, सुनील और माधुरी नाम के किरायेदार हैं, और सलीम, दयाल और माया नाम के मेहमान— जिनकी मौजूदगी मगर बेखबरी में मकान मालकिन की हत्या हुई। एक तरफ़ कहानी वर्तमान से अतीत की तरफ़ जाती है, तो दूसरी तरफ़ अतीत से वर्तमान की तरफ़ आती है और इन दोनों ही टाईमलाईन में आगे-पीछे होते हुए ऐसे ही ढेरों कैरेक्टर्स अवतरित होते रहते हैं।
चूंकि कहानी वेब सीरीज के परपज से शुद्ध मनोरंजन के लिये लिखी गई है तो इसके किरदार रियलिस्टिक वर्ल्ड से जैसे के तैसे लिये गये हैं, उनसे बहुत ज्यादा नैतिकता की अपेक्षा न रखियेगा, वे देवता तुल्य नायक या देवी तुल्य नायिका की बाउंड्री से बाहर हैं और ज्यादातर किरदार ग्रे शेड के हैं। दूसरे, कहानी में कोई मैसेज नहीं है कि उसके नाम पर इसे जस्टीफाई किया जाये। बस मनोरंजन परोसने के नजरिये से लिखी गई कहानी है— तो इसे इसी उद्देश्य तक सीमित समझिये।
कहानी दो लाख से ऊपर वर्ड्स की है, इसे एक भाग में समेटना ठीक नहीं था, तो इसके दो पार्ट्स कर दिये हैं और कहानी का दूसरा पार्ट 'वो लड़की सयानी सी' भी इसी कहानी के साथ पब्लिश की गई है, ताकि पाठक को इंतज़ार न करना पड़े और वह एक साथ पूरी कहानी का आनंद ले सके।
वो लड़की सयानी सी
यह कहानी उस सिलसिले को आगे बढ़ाती है जो 'वो लड़की भोली भाली सी' से शुरु हुआ था और अपने अंजाम तक पहुंचती है। सुहाना या संदीप के अतीत में जो कुछ भी हुआ था, वह धीरे-धीरे विकास की इन्क्वायरी के ज़रिये सामने आता रहता है। उन दोनों की ज़िंदगी में ढेरों पेंच थे, ढेरों उलझनें थीं और उनमें सबा को उन सबसे डील करते हुए, एक सरकारी मिशन के तहत अपनी एक जगह बनानी थी— और जिसके लिये वह हर स्तर तक जाती है।
पिछले भाग में जहां कहानी तीन अलग टाईमलाईन में चली थी, वहीं इस भाग में कहानी दो अलग टाईमलाईन में चलती है और जहां सबा के सफ़र के साथ अतीत का एक कालखंड सामने आता रहता है, जहां वह शोषण से भरे बचपन से उबरते हुए एक ताक़तवर संगठन में घुसपैठ करती है और धीरे-धीरे शीर्ष तक पहुंचती है, जहां पहुंच कर उसे फिर एक मौका मिलता है, एक नये अवतार को ग्रहण करने का… वहीं वर्तमान में विकास की खोजबीन के साथ उस अतीत के उलझे हुए सिरे धीरे-धीरे खुलते रहते हैं और एक बिखरी-बिखरी सी कहानी परिपूर्णता लेते हुए सामने आती है।
उस गुमशुदा अतीत में कुछ ऐसा था, जिसने गोवा को अपने मज़बूत पंजों में जकड़े बादेस से मुक्ति तो दिला दी थी, लेकिन अपना वक़्त लेकर, संभलने के बाद वह फिर से खड़े होने की कोशिश करती है और उसके बचे हुए बागी सिपहसालारों को फिर उसके झंडे के नीचे आना पड़ता है। उसी गुमशुदा अतीत में एक बहुत बड़ी रकम भी गुम हुई थी, जिसका कोई पता ठिकाना नहीं था और अब जैसे वह सारे लोग उसी की तलाश में थे— जो उसके बारे में जानते थे। वे उस रकम के लिये किसी भी हद से गुज़रने को तैयार थे।
जो गोवा में होता है, वही अंतिम मोड़ पर दिल्ली में होता है और अतीत में आपस में असम्बंधित रहे विकास, टोनी, बब्बू, माया और आरज़ू सब एक दूसरे के सामने प्रतिद्वंदी के तौर पर आ खड़े होते हैं— जहां ख़ुद सर्वाईव करने के लिये दूसरे को खत्म करना ज़रूरी हो जाता है। अब सवाल यह था कि उस अंतिम दौर में कौन मरता है और कौन बचता है?
Wo Ladki Bholi Bhali Si
Wo Ladki Sayani Si (Wo Ladki Bholi Bhali Si Book 2)
Ashfaq Ahmad
Published on October 29, 2023 19:35
•
Tags:
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Lafztarash
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