Bhagwaticharan Verma
Born
in Safipur, India
August 30, 1903
Died
October 05, 1981
Genre
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चित्रलेखा
—
published
1934
—
24 editions
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भूले-बिसरे चित्र
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published
1959
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6 editions
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रेखा
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published
2009
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4 editions
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मेरी प्रिय कहानियाँ
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चाणक्य
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published
2009
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4 editions
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सामर्थ्य और सीमा
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published
1962
—
4 editions
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वह फिर नहीं आई
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published
2014
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3 editions
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सबहिं नचावत राम गोसाईं
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published
1970
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2 editions
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टेढ़े मेढ़े रास्ते
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published
2005
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4 editions
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प्रतिनिधि कहानियाँ
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published
2001
—
5 editions
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“धर्म समाज द्वारा निर्मित है। धर्म के नीतिशास्त्र को जन्म नहीं दिया है, वरन् इसके विपरीत नीतिशास्त्र ने धर्म को जन्म दिया है। समाज को जीवित रखने के लिए समाज द्वारा निर्धारित नियमों की ही नीतिशास्त्र कहते हैं, और इस नीतिशास्त्र का आधार तक है। धर्म का आधार विश्वास है और विश्वास के बन्धन से प्रत्येक मनुष्य को बाँधकर उससे अपने नियमों का पालन कराना ही समाज के लिए हितकर है। इसीलिए ऐसी भी परिस्थितियाँ आ सकती हैं, जब धर्म के विरुद्ध चलना समाज के लिए कल्याणकारक हो जाता है और धीरे-धीरे धर्म का रूप बदल जाता है।”
― चित्रलेखा
― चित्रलेखा
“कुछ-कुछ समझने के कोई अर्थ नहीं होते। यदि तुम समझ सकते हो तो पूर्णतया, नहीं तो बिल्कुल ही नहीं।”
― चित्रलेखा
― चित्रलेखा
“मनुष्य को पहले अपनी कमजोरियों को दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए। आर्य श्वेतांक, दूसरों के दोषों को देखना सरल होता है, अपने दोषों को न समझना संसार की एक प्रथा हो गई है। मनुष्य वही श्रेष्ठ है, जो अपनी कमजोरियों को जानकर उनको दूर करने का उपाय कर सके।”
― चित्रलेखा
― चित्रलेखा
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757 | 388 | Oct 18, 2018 11:02AM |


















